Labgrown Diamond: गुजरात का सूरत शहर देश और दुनिया में हीरो की नगरी के रूप में एक अलग पहचान रखता है. दुनिया में सबसे ज्यादा हीरे इसी शहर की छोटी बड़ी फैक्ट्रियों  में तराशे जाते हैं. असली हीरों को चमकाने के साथ-साथ ये शहर लेबग्रोन हीरे का हब भी है लेकिन क्या आपको पता है कि भारत में सबसे पहले इस हीरे का उत्पादन किसने किया था और क्या है इसके पीछे सफलता की कहानी 


ये है लेबग्रोन डायमंड बनाने के पीछे की मेहनत 


लेबग्रोन ऐसा हीरा है जिसका कच्चा उत्पादन सूरत की फैक्ट्री में ही होता है और उसके हीरे की कटिंग और पॉलिशिंग कर गहनों में लगाने के लिए तैयार किया जाता है. भारत में सबसे पहले 2004 में लेबग्रोन डायमंड बनाया गया था और इसका श्रेय पूरे तरीके से भथवारी टेक्नोलॉजी को जाता है. लेबग्रोन की सफलता के बारे में बात करते हुए भथवारी टेक्नोलॉजी के बंकुल लिम्बासिया ने बताया कि मेरे पास रेस्टोरेंट में खाने तक के पैसे नहीं होते थे, तब मैंने निश्चित किया कि जीवन में सख्त मेहनत कर सफलता प्राप्त करनी है. बस तभी से शुरू हुआ भथवारी टेक्नोलॉजी का सफर..


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भथवारी टेक्नोलॉजी से ही भेजा जाता है विश्वभर में लेबग्रोन


उन्होंने आगे बताया कि सूरत आकर डायमंड इंडस्ट्री के लिए सबसे पहले मशीन बनाने की शुरुआत की. सूरत आकर हमने पहले डोरी मारने की मशीन बनाई, भारत में पहली बार डोरी की मशीन भथवारी टेक्नोलॉजी के पास ही थी. उसके बाद हमने इस क्षेत्र में नया इनोवेशन किया, डायमंड के लेयर वाली सरण हमने भारत में पहली बार बनाई. उस दौरान माइक्रोस्क्रैप सरण बनाते-बनाते उसमें उपयोग किए जाने वाले पाउडर मोटा आने से विचार आया कि इसमें से लेबग्रोन डायमंड बनाया जा सकता है.


इसके बाद 2004 में हमने पहला लेबग्रोन डायमंड बनाया था. जब हमने इस बारे में बड़े उद्योगपतियों को बताया तो उन्होंने इसका मज़ाक बनाया. लेकिन मैं दृढ़ रहा, मुझे पता था कि लेबग्रोन डायमंड को आज नहीं तो कल लोग स्वीकार करेंगे. आज इसका परिणाम सबके सामने है. लेबग्रोन डायमंड का पूरे विश्व में सबसे अधिक उत्पादन भथवारी टेक्नोलॉजी के तहत ही हो रहा है.


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