Morbi Bridge Accident: गुजरात सरकार ने ओरेवा समूह (Oreva Group) के प्रवर्तक जयसुख पटेल (Jaisukh Patel ) द्वारा मोरबी पुल (Mobri Bridge) ढहने के पीड़ितों के परिजनों को मुआवजा देने के लिए मांगी गई अंतरिम जमानत का विरोध किया. जानकारी हो कि पिछले साल हुए इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी.


मुआवजा देने के लिए मांगी जमानत
जयसुख पटेल ने मच्छु नदी पर बने पुल से जुड़े हादसे में मृतकों के परिवारों और घायल हुए 56 लोगों को मुआवजा देने के लिए आवश्यक औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए कोर्ट से 15 से 20 दिनों के लिए जमानत पर रिहा करने का अनुरोध किया था.


गुजरात उच्च न्यायालय ने 22 फरवरी को घड़ी निर्माता कंपनी ओरेवा समूह को मोरबी झूला पुल हादसे में जान गंवाने वाले प्रत्येक व्यक्ति के परिजन को 10 लाख रुपये और प्रत्येक घायल को दो लाख रुपये का अंतरिम मुआवजा चार सप्ताह के अंदर भुगतान करने का निर्देश दिया था.


सात मार्च तक सुरक्षित रखा निर्णय
शनिवार को सुनवाई के दौरान राज्य सरकार और पीड़ितों के परिजनों के विरोध के बाद प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश पीसी जोशी की अदालत ने जयसुख पटेल की अंतरिम जमानत याचिका पर अपना निर्णय सात मार्च तक के लिए सुरक्षित रख लिया. पीड़ितों के परिवारों की ओर से दिलीप अगेचनिया ने अदालत से कहा कि पटेल को इस समय रिहा नहीं किया जाना चाहिए, क्योंकि वह सबूतों के साथ छेड़छाड़ कर सकते हैं और गवाहों को प्रभावित कर सकते हैं.


30 अक्टूबर को टूटा था मोरबी का झूला पुल
गौरतलब है कि राज्य के मोरबी शहर में मच्छु नदी पर स्थित झूला पुल पिछले साल 30 अक्टूबर को टूट गया था. इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी. इसके अलावा 56 अन्य घायल हो गये थे. यह पुल ब्रिटिश शासनकाल के दौरान बना था. पुलिस ने इस हादसे के सिलसिले में जयसुख पटेल सहित 10 लोगों को गिरफ्तार किया था. सभी आरोपी वर्तमान में मोरबी उप-जेल में बंद हैं.


यह भी पढ़ें: गुुजरात विधान सभा में पहली बार बोले हार्दिक पटेल, अपनी ही सरकार को घेरा, स्पीकर ने भी की तारीफ