Morbi Cable Bridge Case: गुजरात के मोरबी में हुए पुल त्रासदी मामले में आरोपी जयसुख पटेल ने मंगलवार को अदालत में सरेंडर कर दिया. जयसुख ओरेवा कंपनी के प्रमोटर हैं, जिसने इस पुल की मरम्मत की थी. इस हादसे में 135 लोगों की जान चली गई थी. मोरबी हादसे में बीते 30 अक्टूबर की शाम को मच्छू नदी पर बना झूला पुल अचानक ढह गया था, जिसमें 135 लोगों की जान चली गई थी और कई लोग इस हादसे में घायल भी हो गए थे.


इस ब्रिज को रिनोवेशन के बाद हाल ही में चालू किया गया था. जिसकी मरम्मत ओरेवा ग्रुप ने की थी. बीजेपी नेता कमलेश देसाई के नेतृत्व वाली नगर पालिका के 49 सदस्यों ने अदालत के समक्ष राज्य सरकार के हलफनामे का विरोध करते हुए कहा कि वे पुल मरम्मत का ठेका देने में शामिल नहीं थे और अगर सरकार मोरबी नगर पालिका को हटा देती है, तो यह बाकी सदस्यों के साथ अन्याय होगा. 


मोरबी पुल हादसे में फाइल चार्जशीट में पुलिस ने दी ये जानकारी


मोरबी पुल हादसे के मामले में पुलिस ने चार्जशीट फाइल कर दी है. ये आरोपपत्र 1252 पन्नों का है, जिसमें ओरेवा ग्रुप के मैनेजिंग डायरेक्टर जयसुख पटेल को भगोड़ा बताया गया था. ओरेवा कंपनी से अगले 15 साल यानी 2037 तक के लिए पुल की मरम्मत, रखरखाव और ऑपरेशन का समझौता किया गया था. करार की शर्तों के अनुसार 8 से 12 महीने में पुल की मजबूती के अनुसार रिनोवेट करके जनता के लिए खोला जाना था, लेकिन 6 महीने के अंदर बिना किसी तकनीकी मदद के पुल के रिनोवेशन का ठेका दे दिया गया. हादसे के दौरान 400 से ज्यादा लोगों को पुल पर जाने दिया गया था. 


पुलिस की ओर से दाखिल चार्जशीट के मुताबिक, इतनी बड़ी संख्या में लोगों के जाने से पहले पुल की स्ट्रेन्थ स्टेबिलिटी का जायजा भी नहीं लिया गया था. जानकारी के मुताबिक टेक्निकल लोगों की जगह फेब्रिकेशन वाले लोगों को काम दिया गया था. इसके साथ ही एफएसएल की रिपोर्ट के अनुसार 49 में से 22 तारों में जंग लग गई थी.