Morbi Bridge Collapse: राम रखेंगे तो कौन चखेगा, आज ही की कहावत सच हो गई. मोरबी आपदा के दौरान अहमदाबाद के अंबावाड़ी इलाके में रहने वाले चावड़ा परिवार का एक भाई भाई बीजा मनाने और यात्रा करने कच्छ गया था. पुल गिरा तो इस परिवार का बेटा, बहू और उनकी पोती और चचेरे भाई सैर के लिए निकले थे.


अशोकभाई और भावनाबेन पानी में गिर गए और फूल के एक-एक करके टूटने से उनकी मृत्यु हो गई. हालांकि उनकी 7 साल की बेटी हर्षिता को चमत्कारिक ढंग से बचा लिया गया. हर्षिता का कहना है कि पुल पर रहते हुए एक पुलिसकर्मी ने उन्हें बचाया और सुरक्षित स्थान पर ले जाया गया. मृतक पति-पत्नी कच्छ दिवाली की छुट्टी पर जाकर भाई बिज मनाने के लिए अपनी बहन के घर मोरबी पहुंचे.


रविवार होने के कारण, पति, पत्नी, बेटी और बेटा झूलते हुए पुल पर टहलने गए, जहां 18 वर्षीय बेटा बच गया, क्योंकि वह तैरना जानता था. साथ ही बेटी हर्षिता को भी चमत्कारिक ढंग से बचा लिया गया. मृतक अशोक भाई एमआर यानी मेडिकल रिप्रेजेंटेटिव के पद पर कार्यरत थे. जबकि मृतक पत्नी घर में सिलाई का काम कर गुजारा चलाती थीं. अहम बात यह है कि अगले 13 दिसंबर को मृतक पति-पत्नी की शादी की सालगिरह भी थी.


वहीं इस घटना में गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया गया है. मोरबी बी डिवीजन पुलिस ने गैर इरादतन हत्या के तहत मामला दर्ज किया है. धारा 304,308,114 के तहत अपराध दर्ज किया गया था. जूल ब्रिज प्रबंधन के प्रबंधक, रखरखाव टीम के प्रबंधक के खिलाफ शिकायत दर्ज की गई थी. शिकायत में यह भी उल्लेख किया गया है कि पुल का उचित रखरखाव ठीक से नहीं किया गया था. मामले की जांच के लिए गुजरात सरकार ने पांच सदस्यीय कमेटी भी बनाई थी. रेंज आईजी की अध्यक्षता में अपराध की जांच की जाएगी. मुख्यमंत्री को जांच रिपोर्ट सौंपी जाएगी. 108 सेवा के कार्यक्रम प्रबंधक नीलेश भरपोड़ा ने बताया कि 108 सेवा से 130 से अधिक प्रभावित मरीजों को शिफ्ट किया गया है.


गौरतलब है कि गुजरात के मोरबी में रविवार (30 अक्टूबर) की शाम को ये हादसा हुआ था जब माच्छू नदी पर स्थित झूलता पुल गिर गया था. इस हादसे में 140 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. जबकि कई लोगों का अस्पताल में इलाज चल रहा है. आरोप है कि पुल की संचालक कंपनी ने समय से पहले ही पुल को खोल दिया था.


ये भी पढ़ें


Morbi Bridge Collapse: 17 रुपये के लालच में कंपनी ने किया 'मौत का सौदा', मालिक हुआ अंडरग्राउंड