Gujarat News: बीजेपी शासित मोरबी नगर निगम के पार्षदों ने गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेंद्र पटेल से एक अपील की है. इस अपील में 30 अक्टूबर को हुई पुल त्रासदी के बाद नगर निकाय को भंग करने के फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. नगर निगम के सभी 52 पार्षद बीजेपी से संबंधित हैं. उनमें 49 से पटेल को पत्र लिखकर उनसे निगम को भंग नहीं करने की अपील की है. 


30 अक्टूबर को हुई थी घटना
मोरबी में मच्छु नदी पर झूलता पुल 30 अक्टूबर को टूट गया था और इस घटना में 135 लोगों की जान चली गई थी. आरोप है कि इस पुल के रखरखाव का काम जिस निजी कंपनी को सौंपा गया था, उसने लापरवाही बरती थी. पार्षद देवभाई अवाडिया ने कहा, "पुल के रखरखाव के लिए नगर निगम और ओरेवा ग्रुप के बीच करार निर्वाचित निकाय को बिना सूचना दिये किया गया था. यह मुख्य अधिकारी ही थे जिन्होंने वह निर्णय लिया था और हममें से किसी को भी इसकी जानकारी नहीं थी."


पार्षदों ने कहा, "इसके अलावा, इस करार या प्रस्ताव को चर्चा या मत विभाजन के लिए आम बोर्ड के सामने कभी रखा ही नहीं गया. इस पत्र के माध्यम से 49 पार्षदों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि दूसरों की गलतियों के लिए उन्हें दंडित नहीं किया जाए. हमें भी मौत से उतना ही दर्द हुआ है लेकिन हम किसी तरह इस त्रासदी के लिए जिम्मेदार नहीं हैं."


पार्षद करेंगे सीएम से मुलाकात
नगर निगम के पार्षद सोमवार को गांधीनगर में मुख्यमंत्री और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों से भेंट करेंगे. मोरबी नगर निगम का चुनाव फरवरी, 2021 में हुआ था और बीजेपी ने सारी सीट जीती थीं. राज्य सरकार ने 13 दिसंबर को गुजरात हाई कोर्ट से कहा था कि उसने नगर निगम को भंग करने का फैसला किया है. उच्च न्यायालय ने पुल त्रासदी का एक जनहित याचिका के तौर पर स्वत: संज्ञान लिया था. सरकार ने न्यायालय को यह आश्वासन दिया था कि वह मोरबी के मुख्य अधिकारी एस वी जाला के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्रवाई करेगी जिन्हें पुल हादसे के बाद निलंबित कर दिया गया था. मार्च, 2022 में जब ओरेवा ग्रुप के साथ करार हुआ था तब जाला मुख्य अधिकारी थे.


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