Nanji Sondarva Murder Case: 2018 में दलित आरटीआई कार्यकर्ता नानजी सोंदरवा की कथित तौर पर हत्या मामले में गोंडल की एक विशेष अदालत ने शुक्रवार को छह लोगों को बरी कर दिया. यह फैसला कोर्ट ने इसलिए लिया क्योंकि मामले में अभियोजन पक्ष के प्रमुख गवाह मुकर गए और अदालत को आरोपियों के खिलाफ कोई निर्णायक सबूत नहीं मिला. साथ ही ये फैसला अतिरिक्त जिला न्यायाधीश द्वारा पारित आदेश नानजी के बेटे राजेश की हत्या के आठ आरोपियों को सबूतों की कमी में बरी किए जाने के लगभग तीन महीने बाद आया है. दोनों ही मामलों में दो आरोपी आम थे. 


इन लोगों को किया गया बरी


जिन लोगों को बरी किया गया है उनमें राजकोट जिले के मानेकवाड़ा गांव के तत्कालीन कांग्रेस कार्यकर्ता महेंद्रसिंह जडेजा (50) शामिल हैं. इसके अलावा अजयसिंह उर्फ ​​घनुभा चंदूभा जडेजा (47) और अजयसिंह का छोटा भाई जितेंद्रसिंह चंदूभा जडेजा (41), जितेंद्रसिंह निर्मलसिंह जडेजा (42), नरेंद्रसिंह जडेजा (48) और जगदीश बाव उर्फ ​​जग भारवाड़ शामिल हैं. नरेंद्र सिंह और बाव गोंडल कस्बे के रहने वाले हैं, जबकि पांच अन्य गांव कोटड़ा संगनी तालुका के मानेकवाड़ा गांव के रहने वाले हैं. अदालत ने आरोपी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए दावा किया कि अभियोजन पक्ष अपने मामले को संदेह से परे साबित करने में विफल रहा है.  


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चार चश्मदीद गवाहों के अस्तित्व पर भी सवाल उठाया


न्यायाधीश ने उन चार चश्मदीद गवाहों के अस्तित्व पर भी सवाल उठाया जो नानजी को अस्पताल ले गए थे. न्यायाधीश के मुताबिक सबूतों के संग्रह और साक्ष्य के मुख्य अंश को ध्यान में रखते हुए, घटना के चार चश्मदीद गवाहों का कोई इतिहास नहीं है, जो नानजी के घायल होने के बाद नानजी को कोटड़ा संगानी के सरकारी अस्पताल में ले गए थे. उन्होंने आगे कहा कि न तो नानजी द्वारा उस समय होश में होने के बावजूद रिकॉर्ड पर कोई जानकारी दी गई है. साथ ही गवाहों नंबर 1 से 5 द्वारा दी गई शपथ पर गवाही, आरोपी के नानजी को धमकी देने के दावे का समर्थन नहीं करती है.


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