Gujarat Talwar Raas: गुजरात के राजकोट में मंगलवार को नवरात्रि उत्सव के तीसरे दिन महिलाओं ने राजवी महल में बाइक और कारों पर हाथों में तलवार लेकर गरबा किया है. इसका एक वीडियो भी ऑनलाइन सामने आया है. वीडियो में देखा जा सकता है कि महिला ने पहले बाइक चलाते हुए तलवार लेकर गरबा किया इसके बाद दूसरी महिला ने कार चालते हुए तलवार लेकर गरबा किया.


'तलवार रास' या 'तलवार चलाना' गुजरात की एक पारंपरिक संस्कृति है जहां पारंपरिक 'राजपूताना' पोशाक में महिलाएं देवी दुर्गा का सम्मान करने के लिए अनोखा गरबा करती हैं. नवरात्रि के तीसरे दिन, भक्त देवी चंद्रघंटा की पूजा करते हैं, जो देवी महागौरी का विवाहित रूप है. 'चंद्र-घंटा' के नाम से मशहूर, उनका नाम घंटी के आकार के आधे चंद्रमा का प्रतीक है.


क्या है 'तलवार रास'?
गुजरात की लोक परंपराओं के विद्वानों के अनुसार, तलवार रास उन राजपूत युद्ध नायकों की याद में बनाया गया था जो भूचर मोरी के ऐतिहासिक युद्ध (18 जुलाई, 1591) में मारे गए थे. यह गुजरात में किया जाने वाला एकमात्र रास नहीं है. कृषक समुदाय, योद्धा समुदाय, समुद्री समुदाय और यहां तक कि मुस्लिम मालधारी समुदाय सहित विभिन्न समुदायों द्वारा लगभग छह प्रकार के रास का प्रदर्शन किया जाता है.






सुबह की आरती
नवरात्रि के तीसरे दिन देशभर के मंदिरों में सुबह आरती की गई. मंदिर के पुजारियों ने देवी दुर्गा की पूजा की, जबकि बड़ी संख्या में भक्त प्रार्थना करने और सुबह की आरती में भाग लेने के लिए एकत्र हुए. महाराष्ट्र के मुंबई में मुंबा देवी मंदिर में भी नौ दिवसीय हिंदू त्योहार नवरात्रि के तीसरे दिन की शुरुआत के लिए 'आरती' आयोजित की गई. आरती के दौरान मंदिर की घंटी और अन्य वाद्ययंत्रों की आवाज से मंदिर गूंज उठा. गुजरात के सूरत के उमिया मंदिर में भी सुबह की आरती हुई.


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