One Nation One Election: देश में एक बार फिर से वन नेशन वन इलेक्शन की चर्चा छिड़ गई है.सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार केंद्र सरकार पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षत में इस मामले पर एक कमेटी बना सकती है. हालांकि अभी तक आधिकारिक सूत्रों ने इसकी पुष्टि नहीं की है. उधर, राजनीतिक हलकों में इस मुद्दे पर गहमागहमी तेज हो गई है. विपक्ष जहां इस मुद्दे को अन्य मामलों से ध्यान हटाने की कोशिश बता रहा है तो वहीं सत्तापक्ष इसको लेकर बहुत ज्यादा मुखर नहीं है.


इस बीच भारतीय जनता पार्टी की गुजरात इकाई के नेता सीआर पाटिल ने एक देश एक चुनाव की अवधारणा का समर्थन किया है. एक बयान में सीआर पाटिल ने कहा कि, 'एक ही बार सब चुनाव हो जाये. हर बार चुनाव से खर्च होता है. उन्होंने कहा कि आचार संहिता से विकास का काम रुकता है. मोदी जी ने एक देश एक चुनाव पर चर्चा की है. कमेटी की रिपोर्ट को सब मानेंगे.'


केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?


'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कहा कि, 'अभी एक समिति का गठन किया गया है. समिति की एक रिपोर्ट आएगी जिस पर चर्चा  होगी. संसद परिपक्व है और वहां चर्चा होगी. घबराने की जरूरत नहीं है. भारत को लोकतंत्र की जननी कहा जाता है, यहां विकास हुआ है. मैं संसद के विशेष सत्र के एजेंडे पर चर्चा करूंगा.'


एक देश-एक चुनाव के क्या हैं लाभ?


आपको बता दें कि सरकार ने 18 से 22 सितंबर तक लोकसभा और राज्यसभा का विशेष सत्र बुलाया है जिसमें 5 बैठकें होंगी. कहा जा रहा है कि सरकार समान नागरिक संहिता (यूसीसी) और महिला आरक्षण बिल भी पेश कर सकती है. एक देश-एक चुनाव की वकालत खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कर चुके हैं. इस बिल के समर्थन के पीछे सबसे बड़ा तर्क यही दिया जा रहा है कि इससे चुनाव में खर्च होने वाले करोड़ों रुपये बचाए जा सकते हैं. 



ये भी पढ़ें- 


संसद के विशेष सत्र में 'वन नेशन, वन इलेक्शन' बिल लाने की अटकलों पर मल्लिकार्जुन खरगे बोले- आने दीजिए, लड़ाई जारी रहेगी