गुजरात से इन नेताओं को मिली मोदी मंत्रिमंडल में जगह, परषोत्तम रुपाला का पत्ता कटा
PM Modi Oath Ceremony: परषोत्तम रुपाला ने गुजरात की राजकोट लोकसभा सीट से बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की. केंद्र की पिछली सरकार में वो केंद्रीय मंत्री थे.
Narendra Modi 3.0 Cabinet: नरेंद्र मोदी लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बन गए हैं. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक समारोह में पद और गोपनीयता की शपथ दिलाई. इस बीच गुजरात के बीजेपी सांसद और पूर्व केंद्रीय मंत्री परषोत्तम रुपाला को केंद्र की नई सरकार में जगह नहीं मिली है. उन्हें शपथग्रहण का न्यौता नहीं मिला था. गुजरात के कई बीजेपी सांसदों को मंत्री पद की शपथ दिलाई गई है लेकिन परषोत्तम रुपाला को रिपीट नहीं किया गया है.
गुजरात कोटे से बीजेपी के अमित शाह, मनसुख मंडाविया, सीआर पाटिल और निमुबेन बांभनिया (Nimuben Bambhaniya) ने मोदी कैबिनेट में मंत्री के तौर पर शपथ ली. गांधीनगर सीट से शाह ने लगातार दूसरी बार जीत दर्ज की है. इस बार उन्होंने अपने ही पुराने रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 7 लाख 44 हजार 716 वोटों से जीत हासिल की. मनसुख मंडाविया ने गुजरात की पोरबंदर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा था. उन्होंने कांग्रेस प्रत्याशी ललित वसोया को 3 लाख 80 हजार 285 वोटों से हराया.
परषोत्तम रुपाला मोदी मंत्रिमंडल से बाहर
बीजेपी सांसद परषोत्तम रुपाला को मोदी मंत्रिमंडल से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है, उन्हें नई सरकार में शामिल नहीं किया गया. राजकोट लोकसभा सीट बीजेपी उम्मीदवार के तौर पर उन्होंने चुनाव लड़ा और बड़ी जीत हासिल की. लोकसभा चुनाव के लिए प्रचार के दौरान रुपाला उस वक्त विवादों में आ गए थे, जब उन्होंने राजपूतों के खिलाफ बयान दिया था. क्षत्रिय आंदोलन और राजपूतों के विरोध के बावजूद उन्होंने 4 लाख 84 हजार 260 मतों से जीत हासिल की. परषोत्तम रुपाला ने कांग्रेस के प्रत्याशी और पूर्व विधायक परेश धनानी को चुनाव में पटखनी दी. राजकोट लोकसभा सीट से यह अब तक की सबसे बड़ी जीत बताई जा रही है.
रुपाला ने क्षत्रिय समाज पर की थी टिप्पणी
गौरतलब है कि लोकसभा चुनावों से पहले क्षत्रिय समाज ने पूर्व शासकों के बारे में रूपाला की टिप्पणी को लेकर गुजरात के अलग-अलग हिस्सों में जमकर विरोध प्रदर्शन करते हुए बवाल किया था. हालांकि बाद में रुपाला ने अपने विवादित बयान को लेकर क्षत्रिय समाज से मांफी मांगी थी. उस दौरान क्षत्रिय समाज में काफी गुस्सा देखा गया था और कई नेताओं ने तो रुपाला की जगह किसी और को टिकट देने की मांग की थी. हालांकि बीजेपी ने इस सीट पर टिकट नहीं बदला. बाद में राजपूतों ने अपना आंदोलन और तेज कर दिया था.
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