गुजरात में हड़प्पा स्थल के पास रिसर्च के दौरान हादसा, IIT दिल्ली की पीएचडी छात्रा की मौत
Gujarat News: पुलिस के मुताबिक मृतक PhD छात्रा की पहचान सुरभि वर्मा के रूप में हुई है. रिसर्च के लिए टीम ने गुजरात के लोथल में एक गड्ढा खोदा था, इसी दौरान हादसा हुआ.
PhD Student Died In Gujarat: गुजरात के लोथल में हड़प्पा स्थल के पास मिट्टी धंसने से हुए हादसे में पीएचडी छात्रा की मौत हो गई. वो आईआईटी दिल्ली की छात्रा थीं और अपनी टीम के साथ यहां रिसर्च करने के लिए पहुंची थी. जानकारी के मुताबिक यह घटना बुधवार (27 नवंबर) को सुबह करीब 11 बजे हुई. इस हादसे में एक प्रोफेसर जख्मी हुई हैं.
पुलिस के मुताबिक मृतक छात्रा की पहचान सुरभि वर्मा के रूप में हुई है. इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक आईआईटी-दिल्ली में उनकी प्रोफेसर 45 वर्षीय यम दीक्षित, जिन्हें बचा तो लिया गया लेकिन उनकी हालत नाजुक बताई गई. भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) वडोदरा सर्कल ने घटना की जांच करने और अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए एक टीम लोथल भेजी है.
हड़प्पा स्थल के पास रिसर्च के लिए खोदे गए थे गड्ढे
अहमदाबाद ग्रामीण के एसपी ओम प्रकाश जाट ने कहा, ''रिसर्च के लिए टीम ने लोथल में एक गड्ढा खोदा था और नमूने इकट्ठा किए जा रहे थे, तभी गड्ढा ढह गया, जिससे चार में से दो सदस्य मौके पर ही दब गए. घटनास्थल और नजदीकी पुलिस स्टेशन के बीच दूरी होने के कारण पुलिस को घटनास्थल पर पहुंचने में 15 मिनट का समय लगा. वहां ड्राइवर समेत कुल मिलाकर पांच लोग थे.''
प्रोफेसर दीक्षित को सांस लेने में दिक्कत
एसपी जाट ने कहा, ''हम प्रोफेसर दीक्षित को बचाने में कामयाब रहे लेकिन उनकी हालत नाजुक थी. उन्हें सीएचसी बागोदरा, अहमदाबाद और बाद में गांधीनगर के अपोलो अस्पताल ले जाया गया क्योंकि उन्हें सांस लेने में समस्या थी और उनका ऑक्सीजन स्तर कम था.'' दीक्षित आईआईटी-दिल्ली में सेंटर फॉर एटमॉस्फेरिक साइंसेज (सीएएस) में सहायक प्रोफेसर हैं. वहीं, छात्रा सुरभि वर्मा अपना शोध कर रही थीं.
एक्सीडेंटल डेथ रिपोर्ट दर्ज
कोथ पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर पीएन गोहिल ने कहा कि टीम मुख्य संरक्षित पुरातत्व स्थल की सीमाओं के बाहर अपना अभ्यास कर रही थी. पुलिस ने कहा कि एक्सीडेंटल डेथ (एडी) रिपोर्ट दर्ज कर ली गई है. टीम के अन्य दो सदस्य एसोसिएट प्रोफेसर वीएन प्रभाकर और सीनियर रिसर्च फेलो शिखा राय हैं- दोनों आईआईटी गांधीनगर के पुरातत्व विज्ञान केंद्र से हैं.
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