Rajkot Police: राज्य सरकार ने सोमवार को पुलिस आयुक्त मनोज अग्रवाल का तबादला कर दिया. उन्हें जूनागढ़ में पुलिस प्रशिक्षण केंद्र के प्रिंसिपल के रूप में तैनात किया गया है. यह तबादला दो व्यवसायी भाइयों और एक स्थानीय बीजेपी विधायक द्वारा राजकोट शहर पुलिस के अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाने के बाद हुआ है.


गृह विभाग द्वारा सोमवार देर शाम जारी एक आदेश में कहा गया है,'' श्री मनोज अग्रवाल, आईपीएस (गुजरात: 1991), पुलिस आयुक्त, राजकोट शहर को स्थानांतरित किया जाता है और राज्य रिजर्व पुलिस प्रशिक्षण केन्द्र के प्राचार्य के रिक्त पद पर उनकी नियुक्ति की जाती है.'राज्य सरकार ने एक अन्य आदेश के जरिए राजकोट के विशेष पुलिस आयुक्त (प्रशासन, यातायात एवं अपराध) खुर्शीद अहमद को राजकोट पुलिस आयुक्त का अतिरिक्त प्रभार दिया है.


क्या है मामला? 


मनोज अग्रवाल का स्थानांतरण राजकोट के व्यवसायी महेश सखिया और जगजीवन सखिया के आरोप के लगभग तीन सप्ताह बाद हुआ. दोनों व्यापारी भाइयों ने आरोप लगया था कि उन्होंने पिछले साल कथित धोखेबाजी के मामले में शिकायत की थी और इसके लिए  उन्होंने 75 लाख रुपये "साहेब" के हिस्से के रूप में भी दिए थे.


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जगजीवन ने दावा किया कि वह और उनका दोस्त डॉ तेजस करमता मनोज अग्रवाल से मिलने और शिकायत दर्ज कराने गए थे. दरअसल उनके छोटे भाई महेश को तीन लोगों ने ठगा था, जिन्होंने उन्हें अपने उद्यमों में 12 करोड़ रुपये का निवेश करने का लालच दिया था, लेकिन पैसे नहीं चुकाए. उन्होंने यह भी दावा किया कि पुलिस आयुक्त ने उन्हें बताया था कि इस मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती है और राजकोट अपराध शाखा के तत्कालीन पुलिस निरीक्षक (पीआई) विरल गढ़वी को मामला भेजा गया है.


पैसे दिलाने के लिए मांगा 30 प्रतिशत हिस्सा


गढ़वी ने साखिया और डॉ करमाता से कहा कि वह "साहेब" से मिलने जाएंगे. जगजीवन के अनुसार, विरल गढ़वी थोड़ी दिन बाद वापस आया और कहा कि वह उस मामले की जांच करेगा लेकिन "साहेब" धोखेबाजों से जो कुछ भी बरामद करेंगे उसका 30 प्रतिशत देना होगा. जगजीवन के मुताबिक वह 15 प्रतिशत का भुगतान करने के लिए सहमत हुआ था और जब धोखेबाजों ने 7 करोड़ रुपये चुकाए तो जगजीवन ने राजकोट अपराध शाखा के एक पुलिस उप-निरीक्षक एस वी सखरा के माध्यम से 'साहेब' 75 लाख रुपये का भुगतान किया.


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