Rajkot TRP Gaming Zone Fire Incident: गुजरात हाई कोर्ट ने गुरुवार को राजकोट गेम जोन में लगी आग को लेकर राज्य सरकार को फिर फटकार लगाई. कोर्ट ने पूछा कि अवैध ढांचे को ध्वस्त करने के आदेश का करीब एक साल तक पालन क्यों नहीं किया गया. इस साल मई में गेम जोन में आग लगने से 27 लोगों की मौत हो गई थी. मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति प्रणव त्रिवेदी की खंडपीठ के समक्ष प्रस्तुत हलफनामे के बाद यह फटकार लगाई गई है.


पीठ घटना के एक दिन बाद 26 मई को स्वत: संज्ञान लेकर शुरू की गई जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है. गुजरात सरकार ने गुरुवार को राजकोट में टीआरपी गेम जोन में आग लगने की घटना पर अपनी 'तथ्यान्वेषी जांच' रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में हाई कोर्ट को सौंपी. पीठ ने पिछले महीने आग लगने की घटना की जांच पर नाराजगी व्यक्त की थी और एक 'तथ्यान्वेषी जांच' का आदेश दिया था ताकि यह पता लगाया जा सके कि अवैध गेम जोन कैसे बना और इसमें अधिकारियों की क्या भूमिका थी.


‘टीआरपी गेम जोन अवैध होने के बाद कार्रवाई क्यों नहीं हुई’
राज्य के हलफनामे पर गुरुवार को गौर करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि राजकोट नगर निगम (आरएमसी) के अधिकारियों को पता था कि टीआरपी गेम जोन अवैध है, लेकिन जून 2023 में प्रबंधन को ध्वस्तीकरण का आदेश दिए जाने के बावजूद इसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई. मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "आरएमसी ने ध्वस्तीकरण का आदेश जारी किया था. तब से लेकर अब तक (आग की घटना तक) एक साल बीत चुका है. इसे क्यों लागू नहीं किया गया? इसका जवाब कहां है? ध्वस्तीकरण के उस आदेश से साबित होता है कि अधिकारियों को पता था कि यह ढांचा अवैध था."


बता दें कि राजकोट शहर के नाना-मावा इलाके में 25 मई को गेम जोन में लगी भीषण आग में चार बच्चों सहित 27 लोगों की मौत हो गई थी. जांच में पता चला कि गेम जोन आरएमसी के अग्निशमन विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र (एनओसी) के बिना चल रहा था.


यह भी पढ़ें: सरकारी कर्मचारियों को भूपेंद्र पटेल सरकार का तोहफा, DA बढ़ाने का ऐलान