Sanjiv Bhatt: संजीव भट्ट की याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस, लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा से जुड़ा है केस
Sanjiv Bhatt News: पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट को 20 जून, 2019 को जामनगर की सत्र अदालत ने हत्या के आरोप में दोषी करार दिया था. फिलहाल संजीव भट्ट अभी सलाखों के पीछे हैं.
![Sanjiv Bhatt: संजीव भट्ट की याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस, लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा से जुड़ा है केस Sanjiv Bhatt News Supreme Court notice to Gujarat government On PLEA of Ex IPS officer Against life sentence Sanjiv Bhatt: संजीव भट्ट की याचिका पर गुजरात सरकार को नोटिस, लालकृष्ण आडवाणी की रथ यात्रा से जुड़ा है केस](https://feeds.abplive.com/onecms/images/uploaded-images/2024/08/28/352e6a4136611d5ef9710517e2a7ea9c1724815541451367_original.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=1200&height=675)
Sanjiv Bhatt Latest News: भारतीय पुलिस सेवा (IPS) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार से मंगलवार को जवाब मांगा, जिसमें 1990 के हिरासत में मौत मामले में उन्हें दोषी करार देने और उम्रकैद की सजा सुनाने के फैसले को चुनौती दी गई है. जस्टिस विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति प्रसन्ना बी वराले की पीठ ने कहा, ‘‘नोटिस का चार सप्ताह में जवाब दिया जाए.’’
पीठ ने याचिका को मामले में लंबित अन्य अर्जियों के साथ सूचीबद्ध कर दिया. संजीव भट्ट ने उनकी अपील खारिज करने के गुजरात हाई कोर्ट के नौ जनवरी, 2024 के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है. हाई कोर्ट ने भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत संजीव भट्ट और सह आरोपी प्रवीण सिंह जाला की सजा को बरकरार रखा था.
जेल में हैं संजीव भट्ट और प्रवीण सिंह जाला
हाई कोर्ट ने राज्य सरकार की उस अपील को खारिज कर दिया था, जिसमें पांच अन्य आरोपियों की सजा बढ़ाने की मांग की गई थी, जिन्हें हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था, लेकिन आईपीसी की धारा 323 और 506 के तहत दोषी ठहराया गया था. संजीव भट्ट और प्रवीण सिंह जाला अभी सलाखों के पीछे हैं. वहीं, अदालत ने जेल से रिहा पांच अन्य आरोपियों के जमानत बांड रद्द कर दिए हैं.
खंड पीठ ने अपने फैसले में कहा, ‘‘हमने आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए संबंधित आरोपी व्यक्तियों को दोषी ठहराते समय अधीनस्थ अदालत की ओर से दिए गए तर्क का भी अध्ययन किया है.’’ उसने कहा, ‘‘रिकॉर्ड पर आधारित साक्ष्यों को देखते हुए हमारी राय है कि अधीनस्थ अदालत का धारा 323 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए (पांच) आरोपियों को दोषी ठहराने का निर्णय सही है.’’
संजीव भट्ट ने 150 लोगों को लिया था हिरासत में
संजीव भट्ट और प्रवीण सिंह जाला को 20 जून, 2019 को जामनगर की सत्र अदालत ने हत्या के आरोप में दोषी करार दिया था. तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव भट्ट ने 30 अक्टूबर, 1990 को अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए निकाली जा रही भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी की 'रथ यात्रा' को रोके जाने के खिलाफ आहूत 'बंद' के बाद जामजोधपुर शहर में भड़के सांप्रदायिक दंगे के दौरान लगभग 150 लोगों को हिरासत में लिया था.
हिरासत में लिए गए व्यक्तियों में से एक, प्रभुदास वैश्नानी की रिहाई के बाद अस्पताल में मौत हो गई थी. वैश्नानी के भाई ने संजीव भट्ट और छह अन्य पुलिस अधिकारियों पर अपने भाई को हिरासत में प्रताड़ित करने और उसकी मौत का कारण बनने का आरोप लगाया था. संजीव भट्ट को पांच सितंबर, 2018 को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें उन पर मादक पदार्थ रखने के लिए एक व्यक्ति को फंसाने का आरोप है. मामले में मुकदमा जारी है.
![IOI](https://cdn.abplive.com/images/IOA-countdown.png)
ट्रेंडिंग न्यूज
टॉप हेडलाइंस
![ABP Premium](https://cdn.abplive.com/imagebank/metaverse-mid.png)
![शिवाजी सरकार](https://feeds.abplive.com/onecms/images/author/5635d32963c9cc7c53a3f715fa284487.jpg?impolicy=abp_cdn&imwidth=70)