Gujarat News: जलशक्ति मंत्री सीआर पाटिल ने कहा, "गुलामी से मुक्त होने के लिए महात्मा गांधी ने सत्याग्रह आंदोल छेड़ा था. गुलामी से मुक्त होना बड़ा काम था, फिर भी महात्मा गांधी ने कहा था कि स्वतंत्रता के साथ-साथ स्वच्छता भी बहुत जरूरी है, लेकिन स्वतंत्रता मिल गई स्वच्छता नहीं मिली."


एबीपी न्यूज के कार्यक्रम 'अभियान बेमिसाल स्वच्छता के 10 साल' कार्यक्रम सीआर पाटिल ने आगे कहा, "बाद में न सरकारों ने और न ही एनजीओ ने इस पर कभी ध्यान दिया. हमें गंदगी की आदत हो गई. लेकिन महात्मा गांधी की इस कल्पना को साकार करने के लिए 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से स्वच्छता की बात की तो विरोधियों ने इसका विरोध किया कि लाल किले से प्रधानमंत्री स्वच्छता की और टॉयलेट की बात कर रहे हैं, लेकिन इसकी जरूरत थी. लोगों ने इसको समझा और सपोर्ट किया."


 



'जनआंदोलन से आया रिजल्ट'
उन्होंने कहा, जब तक जनभागीदारी नहीं होती है तब ये सफल नहीं होता है. जनभागीदारी के साथ ही जनआंदोलन होगा तब ही ये सफल होगा. पीएम मोदी की इस बात को लोगों ने पकड़ लिया और हर व्यक्ति उसके अंदर (स्वच्छता में) जुड़ी और इसका परिणाम हमारे सामने आया है. 


'60 करोड़ लोग टॉयलेट्स यूज करने के आदी हुए'
सीआर पाटिल ने बताया, "अभी तक 11 करोड़ टॉयलेट्स देश में बन गए हैं और करीब 60 करोड़ लोग टॉयलेट्स यूज करने के आदी हो गए हैं." उन्होंने ये भी दावा किया, "जब 2014 में पीएम मोदी ने स्वच्छता अभियान का ऐलान किया था उस समय देश में 40 फीसदी टॉयलेट्स थे, जिसे मोदी सरकार 97 फीसदी तक लेकर गई है, जो कि बड़ी उपलब्धी है."


बता दें कि साल 2014 में गांधी जयंती के दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वच्छ भारत मिशन की शुरुआत की थी. वहीं आज इस अभियान को पूरे दस साल हो चुके हैं.


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