Morbi Bridge Collapse Tragedy: गुजरात के मोरबी में झूलता हुआ पुल टूटने की घटना को लेकर गुजरात सरकार ने मंगलवार को मोरबी नगरपालिका को भंग कर दिया. एक अधिकारी ने यह जानकारी दी. बता दें कि इस हादसे में 135 लोगों की मौत हो गई थी. राज्य के साथ-साथ मोरबी नगरपालिका में भी बीजेपी का ही शासन है. मोरबी के जिलाधिकारी जी टी पंड्या ने जानकारी देते हुए कहा कि राज्य सरकार ने मोरबी नगरपालिका को भंग कर दिया है.


नगरपालिका को जारी किया गया था कारण बताओ नोटिस


मामलू को कि यह हादसा पिछले साल 30 अक्टूबर को हुआ था. मोरबी की मच्छू नदी पर बना यह पुल अचानक से टूट गया जिसमें 135 लोगों की मौत हो गई थी. मोरबी नगरपालिका के साथ हुए एक समझौते के तहत इस पुल के रखरखाव और संचालन की जिम्मेदारी ओरेवा समूह को दी गई थी. गुजरात सरकार ने मोरबी नगरपालिका को 18 जनवरी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था और पूछा था कि पुल से जुड़े अपने कर्तव्यों का निर्वहन करने में विफल होने के कारण क्यों न उसे भंग कर दिया जाए.


'चेतावनी के बावजूद नगरपालिका ने नहीं की कोई कार्रवाई'


राज्य सरकार के मुताबिक ओरेवा ग्रुप ने 2018 से 2020 के बीच नगरपालिका को कई पत्र लिखे थे जिसमें चेतावनी दी गई थी कि पुल की हालत जर्जर है और यदि पुल जनता के लिए खुला रहा तो गंभीर दुर्घटना हो सकती है. कारण बताओ नोटिस में दावा किया गया कि नगरपालिका ने इन चेतावनियों पर कोई गौर नहीं किया. इसके अलावा नगरपालिका ने कॉन्ट्रेक्ट पूरा होने के बाद 2017 में कंपनी से पुल लेने के लिए कोई ठोस कार्रवाई नहीं की. नोटिस में एसआईटी की जांच के निष्कर्षों का भी हवाला दिया गया है जिसमें कहा गया है कि ओरेवा समूह ने पुल की मरम्मत, रखरखाव और इसके संचालन में लापरवाही बरती.


नगरपालिका ने दिया नोटिस का जवाब


वहीं नोटिस का जवाब देते हुए नगरपालिका ने खुद को निर्दोष बताते हुए कहा कि उसने कभी भी ओरेवा को पुल सौंपने की मंजूरी नहीं दी थी. वहीं नगर पालिका  के 52 में से 41 पार्षदों ने एक अलग जवाब देते हुए कहा कि उनमें से अधिकांश को  उस समझौते के बारे में पता ही नहीं था जिसके तहत ओरेवा समूह को पुल का ठेका सौंपा गया था. नगरपालिका के सभी 52 पार्षद बीजेपी के हैं.


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