Gujarat Vadodara Harni Lake Accident: गुजरात हाई कोर्ट ने वडोदरा में हरनी झील के विकास और रखरखाव के लिए एक कंपनी को दिए गए अनुबंध पर सोमवार को सवाल उठाया और कहा कि ठेका दिए जाने के संबंध में जांच की जानी चाहिए. हरनी झील में 18 जनवरी को नौका डूबने से हुए हादसे में 12 छात्रों और दो शिक्षकों की मौत हो गई थी. इस घटना पर स्वत: संज्ञान जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध माई की खंडपीठ ने कहा कि जिस तरह से वडोदरा नगर निगम द्वारा ठेका दिया गया था, उसकी जांच की जानी चाहिए.
वडोदरा नगर निगम के अनुसार, 30 साल की अवधि के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के तहत लेकफ्रंट विकास परियोजना का अनुबंध ‘कोटिया प्रोजेक्ट्स’ को तीन लाख रुपये के मामूली वार्षिक भुगतान पर दिया गया था. हाई कोर्ट ने कहा, ‘‘तत्कालीन निगम आयुक्त द्वारा ठेका देने के तरीके और स्थायी समिति की भूमिका की जांच होनी है. यह बहुत ही गंभीर मामला है."
पीठ ने कहा, ‘‘आपने एक व्यक्ति को कमाई करने के लिए शून्य दर पर संपत्ति दी, और फिर आपने उसे 2017 से आज तक ऐसा करने दिया. किसी ने कुछ नहीं किया. सभी निगम आयुक्त आये और चले गये. यह एक तरह से सार्वजनिक संपत्ति का पूर्ण दुरुपयोग है."
हरनी झील में नौका डूबने से हुई थी 14 लोगों की मौत
बता दें कि इसी साल 18 जनवरी को वडोदरा की हरनी झील में बड़ा हादसा हो गया था. हरनी झील पर निजी स्कूल के बच्चे पिकनिक मनाने के लिए आए थे. इस दौरान स्टूडेंट और उनके शिक्षक हरनी झील में स्टूडेंट बोटिंग कर रहे थे. हरनी झील के बीच में जाकर अचानक नाव पलट गई, जिससे 14 लोगों की पानी में डूबने से मौत हो गई थी. मरने वालों में 12 छात्र और 2 शिक्षक शामिल थे. मामले को लेकर हरनी पुलिस स्टेशन में 5 आरोपियों के खिलाफ अलग-अलग धाराओं में मामला दर्ज किया था.