Weather Forecast: देश के कई हिस्सों में इस साल जोरदार ठंड पड़ी और कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया. यही नहीं फरवरी (February) के अंत तक सर्दी महसूस होती रही. इस बीच भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने पूर्वानुमान लगाया है कि उत्तर प्रदेश (UP), बिहार (Bihar), पंजाब (Punjab) और हरियाणा (Haryana) सहित उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में मार्च से मई के दौरान अधिकतम तापमान 'सामान्य से कम' रहेगा. साथ ही मौसम विभाग ने बताया कि पश्चिमी और इससे लगे मध्य भारत के भागों, उत्तर-पश्चिमी भारत और पूर्वोत्तर भारत के उत्तरी हिस्सों में कई स्थानों पर अधिकतम तापमान सामान्य से ज्यादा रहने की बहुत अधिक संभावना है.


हालांकि आईएमडी ने कहा कि प्रायद्वीपीय भारत के अधिकांश हिस्सों, पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत के साथ-साथ उत्तरी मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान सामान्य से नीचे रहने की संभावना है. मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्रा ने कहा कि जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान के प्रमुख हिस्सों, गुजरात, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र के आसपास के क्षेत्रों में अधिकतम तापमान सामान्य से ऊपर रहने की संभावना है.


इन क्षेत्रों में सामान्य से अधिक रहेगा तापमान


आईएमडी के मुताबिक आगामी गर्म मौसम (मार्च से मई) के दौरान, उत्तर पश्चिम भारत के कई हिस्सों, पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों, मध्य भारत के कुछ हिस्सों, पूर्वी तटीय क्षेत्र और हिमालय की तलहटी के कुछ क्षेत्रों में न्यूनतम तापमान सामान्य या सामान्य से ज्यादा रहने की बहुत अधिक संभावना है. मार्च के दौरान प्रायद्वीपीय भारत और पूर्वी के साथ-साथ पूर्वोत्तर भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य या सामान्य से कम होने की संभावना है, जबकि पश्चिमी और मध्य भारत के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से अधिक रहने का अनुमान है. उत्तर पश्चिम और पश्चिम भारत के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक रहने की संभावना है.


कब घोषित होती है लू?


मौसम विभाग ने कहा कि मार्च से मई के दौरान हिंद-गंगा क्षेत्र के मैदानी इलाकों में 'लू' का कहर सामान्य से कम रहने का अनुमान है. उत्तरी मैदानी इलाकों में मार्च में लू चलने की संभावना नहीं है. मैदानी इलाकों में अधिकतम तापमान 40 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा होने और सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री अधिक होने पर 'लू' की स्थिति मानी जाती है. आईएमडी के अनुसार अधिकतम तापमान सामान्य से 6.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक होने पर 'गंभीर लू' घोषित की जाती है. 


आईएमडी ने यह भी कहा कि भारत में सर्दी के मौसम में 44 प्रतिशत अधिक बारिश दर्ज की गई है. देश में फरवरी में भारी वर्षा की 15 घटनाएं हुईं, जो चार वर्षों में सबसे कम हैं.  सबसे भारी वर्षा की घटनाएं केरल और जम्मू और कश्मीर में हुईं.  देश में साल 2021 और 2020 में भारी बारिश की 18-18 और 2019 में 82 घटनाएं हुई थीं. इस साल पश्चिमी विक्षोभ के नियमित अंतराल पर सक्रिय होने से बारिश का सिलसिला हर कुछ दिनों में जारी है.


क्या होता है पश्चिमी विक्षोभ?


पश्चिमी विक्षोभ भूमध्यसागरीय क्षेत्र में उत्पन्न होने वाला एक तूफान है, जो भारतीय उपमहाद्वीप के उत्तर-पश्चिमी भागों में अचानक सर्दी के सीजन में बारिश लाता है. आने वाले तूफान या कम दबाव वाले क्षेत्र भूमध्यसागरीय क्षेत्र, यूरोप के अन्य भागों और अटलांटिक महासागर में उत्पन्न होते हैं, जब अशांत हवाएं कम दबाव वाले क्षेत्र में होती हैं. फिर ये अफगानिस्तान, पाकिस्तान के साथ-साथ भारत की ओर अधिक ऊंचाई और तेज हवाओं के साथ यात्रा करते हैं, जो पृथ्वी की सतह के पार पश्चिम से पूर्व की ओर बहती हैं.


रास्ते में वे भूमध्य सागर, काला सागर, कैस्पियन सागर और अरब सागर से नमी लेते हैं. भारत मौसम विज्ञान विभाग के अनुसार जब पश्चिमी विक्षोभ हिमालय की ओर आता है तो इनकी नमी बारिश और बर्फ के रूप में बदल जाती है. कभी-कभी वे उत्तरी पहाड़ी राज्यों जम्मू और कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड के साथ-साथ उत्तर पूर्वी राज्यों की ओर बढ़ते हैं, जबकि अन्य समय में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, उत्तर प्रदेश और बिहार होते हुए दक्षिण की ओर बढ़ते हैं. इसके चलते पहाड़ों में बर्फबारी होती है और दिल्ली समेत उत्तरी क्षेत्र में बारिश होती है.  भारत में ये पश्चिम दिशा से आती हैं, इसलिए इसका नाम पश्चिमी विक्षोभ है.


भारी बारिश और बाढ़ से महाराष्ट्र में हुई 350 मौत


वहीं मौसम विभाग के महानिदेशक मृत्युंजय मोहापात्रा ने बताया कि 2019 में महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और ओड़िशा ने खराब मौसम की सबसे अधिक मार झेली है. भारी बारिश और बाढ़ के हादसों से देशभर में 750 से अधिक लोगों की मौत हुई. सबसे अधिक 350 मौतें महाराष्ट्र में हुईं. दूसरे नंबर पर ओड़िशा में 250 मौतें हुईं, जिनमें अधिकतर बिजली गिरने और तूफान से हुईं. तीसरे पर मध्य प्रदेश रहा, जहां खराब मौसम से सबसे ज्यादा जिले प्रभावित हुए. 2019 सात सबसे गर्म वर्षों में एक था. इस दौरान जलवायु परिवर्तन से होने वाली आपदाओं के मामले में भारत दुनिया में तीसरे नंबर पर रहा. जलवायु परिवर्तन से होने वाली मौतों में सबसे अधिक बिजली और गरज के साथ बारिश के कारण हुईं.


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