'देश के विकास में बन गए हैं बाधा', वन नेशन वन इलेक्शन पर मंत्री अनिल विज का बड़ा बयान
Anil Vij News: अनिल विज का कहना है कि वन नेशन वन इलेक्शन एक अच्छा कदम है जो देश को प्रगति की ओर ले जाएगा. इसे आजादी के समय ही लागू कर देना चाहिए था. बार-बार चुनाव विकास में बाधा डालते हैं.
Anil Vij on One Nation One Election: देश में 'वन नेशन वन इलेक्शन' का मुद्दा गरमाया हुआ है. एक ओर सत्ता पक्ष इसे लागू करने की जुगत में लगा है तो विपक्षी दल इसका विरोध कर रहे हैं. इसी बीच हरियाणा के कैबिनेट मंत्री अनिल विज ने 'एक राष्ट्र एक चुनाव' को लेकर बड़ा बयान दिया है. उन्होंने कहा कि यह देश को आगे ले जाने वाला फैसला है. यह फैसला आजादी के तुरंत बाद लिया जाना चाहिए था, लेकिन जो सरकारें बनीं उनके एजेंडा में ये मुद्दे नहीं थे."
अनिल विज ने कहा, "पहले लोकसभा का चुनाव हुआ तो सारे काम रुके हुए थे, फिर विधानसभा चुनाव में काम रुक गए. इसके बाद महाराष्ट्र और हरियाणा के इलेक्शन आ गए. अब दिल्ली में चुनाव आ जाएंगे. पूरा साल केवल और केवल चुनाव ही चलते रहते हैं. विकास की ओर ध्यान नहीं जा पाता है. इसलिए यह बहुत अच्छा कदम है और देश के 140 करोड़ लोगों को इसका स्वागत करना चाहिए."
#WATCH कैथल: हरियाणा सरकार में मंत्री अनिल विज ने कहा, "वन नेशन वन इलेक्शन, ये देश को आगे ले जाने वाला फैसला है। यह लिया तो जाना चाहिए था आजादी के तुरंत बाद लेकिन जो सरकारें बनीं उनके एजेंडे में ये मुद्दे नहीं थे। अब पीएम नरेंद्र मोदी देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते… pic.twitter.com/spLNDcoQu3
— ANI_HindiNews (@AHindinews) December 13, 2024
'विकास में बाधा डालते हैं चुनाव'- अनिल विज
मंत्री अनिल विज ने आगे कहा, "अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपनी राष्ट्रवादी सोच के तहत देश को 2047 तक विकसित राष्ट्र बनाना चाहते हैं. बार-बार चुनावों का होना देश के विकास में व्यवधान पैदा करता है."
वन नेशन वन इलेक्शन पर विपक्ष का मत
दरअसल, विपक्षी दलों का आरोप है कि 'वन नेशन वन इलेक्शन' बीजेपी अपने स्वार्थ के लिए लाना चाहती है. विपक्षी दलों का कहना है कि ये सही मायनों में एक ‘अव्यावहारिक’ ही नहीं ‘अलोकतांत्रिक’ व्यवस्था भी है क्योंकि कभी-कभी सरकारें अपनी समय अवधि के बीच में ही अस्थिर हो जाती हैं तो क्या वहां की जनता बिना लोकतांत्रिक प्रतिनिधित्व के रहेगी? वहीं, एक चिंता यह भी उठाई गई कि इस फैसले की वजह से लोकतांत्रित ढंग से चुनी गई सरकारों को भी भंग करना पड़ेगा, जो जनमत का अपमान कहा जाएगा.
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