Haryana News: अशोक तंवर (Ashok Tanwar) कांग्रेस में लौट आए हैं. 20 जनवरी 2024 को उन्होंने बीजेपी का दामन थामा था. इससे पहले वो आम आदमी पार्टी में थे. आज (3 अक्टूबर) राहुल गांधी (Rahul Gandhi) की मौजूदगी में कांग्रेस ज्वाइन कर लिया.


एक घंटे पहले तक उन्होंने बीजेपी के समर्थन में सोशल मीडिया पर पोस्ट किया और फिर महेंद्रगढ़ में राहुल गांधी की रैली में नजर आए. लेकिन बड़ा सवाल यह है कि कांग्रेस नेताओं को कैसे संभालेगी? क्योंकि तंवर, भूपेंद्र सिंह हुड्डा पर आरोप लगाकर कांग्रेस छोड़ गए थे. 


हुड्डा से बनी हुई है तंवर की नाराजगी?
अशोक तंवर, राहुल गांधी के करीबी माने जाते हैं और उन्होंने 2019 में कांग्रेस छोड़ दी थी. तब उन्होंने भूपेंद्र हुड्डा से मतभेद के कारण कांग्रेस छोड़ी थी लेकिन जब उन्होंने चुनाव से ठीक दो दिन पहले कांग्रेस में वापसी की तो राहुल गांधी से हाथ मिलाने के बाद भूपेंद्र हुड्डा का अभिवादन किया. हालांकि सोशल मीडिया के पोस्ट में तंवर ने भूपेंद्र हुड्डा का जिक्र नहीं किया.






अशोक तंवर ने लिखा, ''पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष लोकसभा राहुल गांधी जी की उपस्थिति में महेंद्रगढ़ रैली में कांग्रेस परिवार में शामिल हुआ.'' उन्हें हुड्डा ने पार्टी का पटका पहनाया लेकिन सोशल मीडिया पोस्ट में तंवर ने उनका ज़िक्र नहीं किया.


उधर, चुनाव प्रचार के दौरान हरियाणा कांग्रेस में अंतर्कलह की खूब चर्चा रही है. भूपेंद्र हुड्डा और कुमारी सैलजा में खटपट की बातें सामने आई हैं. कुछ दिन कुमारी सैलजा चुनाव प्रचार से भी दूर रहीं तो वहीं अशोक तंवर की हुड्डा से नाराजगी किसी से छिपी हुई नहीं है. यानी हरियाणा कांग्रेस में अब दो बड़े ऐसा नेता हो गए हैं जिनकी हुड्डा से नहीं बनती है. माना जाता है कि तंवर को पार्टी में शामिल करने से पहले सैलजा की सहमति ली गई होगी.


तंवर ने पसंदीदा लोगों को टिकट ना देने का लगाया था आरोप
तंवर ने जब कांग्रेस छोड़ी थी तो आरोप लगाए थे कि उनके पसंदीदा उम्मीदवारों की चुनाव के दौरान अनदेखी की गई. इस बार के विधानसभा चुनाव में भी यह देखा गया है कि प्रत्याशियों के चयन में कुमारी सैलजा के मुकाबला हुड्डा कैम्प का ही दबदबा रहा है.


चुनाव में अब बस दो दिन ही शेष रह गया है. 8 अक्टूबर के नतीजों से पता चलेगा कि कांग्रेस अपने अंतर्कलह की चुनौती से निपटने में कामयाब रही है या नहीं. 


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