हरियाणा चुनाव प्रचार आख़िरी दिन बीजेपी से कांग्रेस में शामिल हुए अशोक तंवर शुक्रवार (4 अक्टूबर) को कांग्रेस दफ़्तर पहुंचे. उन्होंने कहा कि सुबह का भूला शाम को वापस लौट आए तो उसे भूला नहीं कहता. अजय माकन की मौजूदगी में अशोक तंवर ने 5 साल बाद फिर से कांग्रेस की सदस्यता ली. गुरुवार को अशोक तंवर मेंहद्रगढ़ में राहुल गांधी की एक रैली में पहुंचकर सभी को चौंका दिया.
लोकसभा चुनाव में बढ़ी कांग्रेस की सीटों की संख्या- तंवर
ये कदम उठाने से एक घंटा पहले तक अशोक तंवर हरियाणा में बीजेपी उम्मीदवारों के लिए वोट देने की अपील कर रहे थे. बीजेपी छोड़ने और कांग्रेस में वापसी करने की वजह बयां करते हुए उन्होंने कहा, "देश की तरक़्क़ी में दलित, पिछड़े हों, इसका राहुल गांधी ने ध्यान रखा. भारत जोड़ो यात्रा ने दिशा देने का काम किया. लोगों में विश्वास हुआ और लोकसभा में टैली (सीटों) को दोगुना किया."
'बीजेपी लोगों को बांटने का काम करती है'
इसके साथ ही बीजेपी पर बड़ा आरोप लगाते उन्होंने आगे कहा, "बीजेपी जाति और धर्म का सहारा लेकर लोगों को बांटने का काम करती है. मेरी राजनीतिक शुरुआत कांग्रेस के झंडे तले हुई. कुछ महीनों बीजेपी के साथ था. संविधान और बाबा साहेब के प्रति जिस तरह की आस्था होनी चाहिए, वह नहीं है."
'बीजेपी में दलित नेताओं के अधिकार छीने जाते हैं'
एक सवाल के जवाब में तंवर ने कहा, "वहां (बीजेपी में) संविधान और दलित नेताओं की बेकद्री है. अधिकार छीने जाते हैं. सुबह का भूला शाम को लौट आये तो उसको भुला नहीं कहते."
इसके आगे उन्होंने कहा, "हरियाणा की बात करूंगा. जाति का सहारा लेकर, जहां धर्म न चले वहां जाति चलाओ, ये बीजेपी की नीति है. राहुल गांधी और कांग्रेस की देश जोड़ने की लड़ाई, बाबा साहेब के सपनों की लड़ाई, उसमें साथ खड़ा हूं"
बता दें कि अशोक तंवर 2009 में हरियाणा की सिरसा सीट सांसद चुने गए थे. 2014 से 2019 तक प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष रहे. लेकिन 2019 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले उन्होंने भूपेंद्र सिंह हुड्डा से मतभेदों के चलते कांग्रेस छोड़ दी. इसके बाद वो टीएमसी में गए. फिर वो आम आदमी पार्टी के मेंबर बने. लोकसभा चुनाव में बीजेपी के टिकट से सिरसा से लोकसभा चुनाव लड़ा. उन्हें कांग्रेस की कुमारी सैलजा ने हरा दिया.
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