गुरुग्राम के विंटेज कार शो में 'लाल परी' ने खींचा सभी का ध्यान, 13 देशों की कर चुकी है यात्रा
Gurugram Vintage Car Show: गुरुग्रा में हुए ‘21 गन सैल्यूट कॉन्कोर्स डी एलिगेंस’ में कई दुर्लभ कारों का प्रदर्शन किया गया. 'लाल परी' की कहानी बहुत ही खास है.

हाल में गुरुग्राम में विशाल गोल्फ लिंक में आयोजित ‘विंटेज कार शो’ ‘21 गन सैल्यूट कॉन्कोर्स डी एलिगेंस’ के 11वें चरण में लगभग 125 पुरानी कारें और 50 पुरानी मोटरसाइकिलें मौजूद थीं. लेकिन मिलेनियम सिटी के गोल्फ कोर्स में आकर्षण का केंद्र रही 1950 की विंटेज एमजी रोडस्टर ‘लाल परी’. इस शो में महाराजा कारों से लेकर खूबसूरत क्लासिक कारें मौजूद थीं जो ऑटोमोबाइल प्रेमियों के लिए किसी तीर्थस्थल से कम नहीं था.
कई दुर्लभ कारों का प्रदर्शन
शो में 1903 डी डायन बोटोन (प्रदर्शित की गई सबसे पुरानी कार), 1917 फोर्ड मॉडल टी रोडस्टर, 1935 कैडिलैक फ्लीटवुड और 1948 बेंटले मार्क ड्रॉपहेड कूप (मूल रूप से बड़ौदा की महारानी के लिए बनाई गई थी) सहित अन्य दुर्लभ कारें मौजूद थीं.
लाल परी: अक्टूबर 2023 में ब्रिटेन पहुंची
‘लाल परी’ एमजी रोडस्टर के लिए यह घर वापसी का पल था जो 13 देशों में लगभग 13,500 किलोमीटर की दूरी तय करने के बाद अक्टूबर 2023 में ब्रिटेन पहुंची थी और अब इस कार शो में कार प्रेमियों को लुभा रही थी.
अहमदाबाद के दमन ठाकोर ‘लाल परी’ के मालिक
अहमदाबाद के दमन ठाकोर ‘लाल परी’ के मालिक हैं जिन्होंने अपने परिवार के सदस्यों को लेकर 70 से ज्यादा दिन तक इसमें ब्रिटेन तक यात्रा की. उनकी पत्नी, पिता और बेटी इस दौरे पर उनके साथ थे और ऑक्सफोर्डशर के एबिंगडन के लोगों ने उनका स्वागत किया. यह जगह कई दशकों तक मॉरिस गैरेजेस का घर थी और 100 साल से अधिक पुरानी इस कंपनी ने ही ‘लाल परी’ को बनाया था.
और 75 साल बाद भी ‘लाल परी’ लोगों का दिल जीत रही है और उन्हें आकर्षित कर रही है. इसका प्रमाण यह है कि उसे ‘21 गन सैल्यूट कॉन्कोर्स डी'एलिगेंस के 11वें संस्करण में पुरस्कार मिला.
'हम इसके साथ ही बड़े हुए थे'
अहमदाबाद में रहने वाले 49 वर्षीय ठाकोर ने दो साल पहले अपनी बेशकीमती कार और दुनिया भर में उसकी अद्भुत यात्रा को याद करते हुए बताया, ‘‘यह ‘लाल परी’ है. जब मैं तीन साल का था, तब मेरे पिता ने यह कार मेरे लिए खरीदी थी. और तब से हम इसके साथ बड़े हुए हैं. हम हर जगह इसमें ही जाते हैं और यहां तक कि यह मेरी शादी के जश्न (2000 में) का भी हिस्सा रही. मेरी पत्नी की मायके से विदाई इसी कार में हुई थी. ’’ ठाकोर ने बताया लगभग 10 साल पहले परिवार ने इस एमजी कार को नया जीवन देने के बारे में सोचा.
‘भारत से लंदन’ कार यात्रा की बात
उन्होंने कहा, ‘‘हम इसे देखते हुए बड़े हुए और इसने हमें बहुत खुशी दी है इसलिए हमने इसकी हालत सही करने के बारे में सोचा. तभी विचार आया कि हम इसे वापस उसी फैक्ट्री में क्यों नहीं ले जा सकते जहां इसे मूल रूप से बनाया गया था. ’’ ठाकोर ने कहा, ‘‘फिर सड़क के रास्ते से ‘भारत से लंदन’ कार यात्रा की बात शुरू हुई और परिवार की तीन पीढ़ियां इस कार में संयुक्त अरब अमीरात से ब्रिटेन तक पहुंचीं. ’’
मुंबई से इसे दुबई भेजा गया
उन्होंने कहा, ‘‘सफर हमारे घर अहमदाबाद से शुरू हुआ, हम मुंबई गए. मुंबई से इसे दुबई भेजा गया क्योंकि हम पाकिस्तान से नहीं जा सकते थे. दुबई से, ईरान, तुर्किये, यूनान, बुल्गारिया, मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो, अल्बानिया, क्रोएशिया, इटली और फिर स्विट्जरलैंड, फ्रांस और अंत में हम ब्रिटेन पहुंचे. ’’
'शारीरिक चुनौतियां का आनंद लिया'
ठाकोर ने कहा कि इस दौरान तकनीकी से लेकर अलग अलग तरह की कई चुनौतियां सामने आईं. उन्होंने कहा कि यात्रा की सबसे बड़ी चुनौती यही थी कि इस यात्रा को कर पाएंगे या नहीं. उन्होंने कहा, ‘‘चूंकि इससे पहले किसी ने ऐसा नहीं किया था. इसलिए हम सोच रहे थे, क्या हम ऐसा कर पाएंगे? और चूंकि खर्चा खुद ही करना था तो एक बार जब मन बना लिया फिर जो भी शारीरिक चुनौतियां आईं, हमने उनका आनंद लिया. ’’
ठाकोर ने कहा, ‘‘यह कार इतनी सुदंर है कि सभी को आकर्षित करती है. और हमारा उद्देश्य भी लोगों को जोड़ना था. जब लोग ब्रिटिश निर्मित कार की प्लेट पर जीआरए 9111 (गुजरात) नंबर देखते थे तो इसकी ओर आकर्षित हो जाते थे. ’’
'हम इसके असली मालिक को नहीं जानते'
यह पूछे जाने पर कि इसका असली मालिक कौन था, ठाकोर ने कहा, ‘‘हम इसके असली मालिक को नहीं जानते. यह 1950 में बनी थी. हमारे परिवार ने इसे 1979 में मुंबई से खरीदा था और उस समय इसका ‘बॉम्बे’ नंबर था जो उस समय ‘बॉम्बे’ था. ’’
कार में एक विशेष ‘हुड मोनोग्राम’
कार में एक विशेष ‘हुड मोनोग्राम’ भी है. उन्होंने कहा, ‘‘हम चाहते थे कि यह यात्रा भारत और इंग्लैंड के इतिहास के बारे में हो. इसलिए हमने सोचा कि क्यों न ब्रिटिश कार पर ‘भारत के लौह पुरुष - सरदार पटेल’ का प्रतीक लगाया जाए और प्रतीकात्मक रूप से उन्हें दुनिया भर में ले जाया जाए ताकि एकता का संदेश फैलाया जा सके. ’’ ‘मोनोग्राम’ के दोनों ओर स्टर्लिंग सिल्वर से बने भारत और ब्रिटेन के झंडे लगे हैं.
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