Haryana Vidhan Sabha Chunav: हरियाणा विधानसभा चुनाव में एक तरफ कांग्रेस जीत का दावा कर रही है. दूसरी तरफ पार्टी आलाकमान को गुटबाजी का डर भी सता रहा है. यही वजह है कि अभी दो दिन पहले कांग्रेस ने एक-दो नहीं पूरे तीन पर्यवेक्षक हरियाणा विधानसभा चुनाव के लिए नियुक्त किए हैं. पार्टी आलाकमान ने अशोक गहलोत, अजय माकन और प्रताप सिंह बाजवा को पर्यवेक्षक बनाकर भेजा है. इस समय कांग्रेस में तीन गुट हैं. इसमें से एक हुड्डा का गुट, दूसरा कुमारी सैलजा और तीसरा सुरजेवाला का. सैलजा और सुरजेवाला गुट का हुड्डा गुट के साथ 36 का आकंड़ा माना जाता है.


कांग्रेस आलाकमान की तरफ से कई बार गुटबाजी खत्म करने की कोशिश की गई, लेकिन इसमें सफलता हासिल नहीं कर पाई. कांग्रेस चाहती है कि सभी एकजुट होकर चुनाव लड़े ताकि आसानी से सत्ता में वापसी का मौका मिल सके.


सीएम पद को लेकर भी हो रहे अलग-अलग दावे
एक तरफ जहां पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा खुद को मुख्यमंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट कर प्रचार प्रसार कर रहे हैं. वहीं दूसरी सिरसा सांसद कुमारी सैलजा को भी कई मौकों पर मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी करते हुए सुना गया है. इसके अलावा कांग्रेस से राज्यसभा सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला भी कई मौकों पर मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर इशारा कर चुके हैं.


यही वजह थी कि कुमारी सैलजा और रणदीप सिंह सुरजेवाला भी इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट की आस लगाए बैठे थे, लेकिन पार्टी ने किसी भी सांसद को टिकट देने से इनकार कर दिया. वहीं भूपेंद्र सिंह हुड्डा गढ़ी सांपला किलोई सीट से एक बार फिर मैदान में हैं, ऐसे में उनकी सीएम पद के लिए दावेदारी मजबूत देखी जा रही है. हालांकिस पार्टी की तरफ से अभी मुख्यमंत्री पद को लेकर कोई ऐलान नहीं किया गया है. कांग्रेस का अभी सिर्फ विधानसभा चुनाव जीतने पर फोकस है.


लोकसभा चुनाव में भले ही कांग्रेस ने पांच सीटें जीत ली हो, लेकिन इस बार आपसी गुटबाजी की वजह से मुश्किलें बढ़ भी सकती हैं. कांग्रेस की इस गुटबाजी का फायदा पहले भी बीजेपी को मिलता रहा है. ऐसे में गुटबाजी में उलझी कांग्रेस कितनी सफल हो पाती है ये तो आने वाला समय ही बताएगा.


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