Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव का बिगुल बजते ही पहले बीजेपी में बगावत शुरू हुई और करीब 20 नेताओं ने पार्टी छोड़ दी. बीजेपी के बाद अब कांग्रेस में भी आखिरी लिस्ट आने के बाद बगावत का झंडा बुलंद होता दिख रहा है. पार्टी के कुछ नेताओं ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया है. गुरुवार (12 सितंबर) को नामांकन दाखिल करने के आखिरी दिन नलवा से पूर्व राज्य मंत्री संपत सिंह और तिगांव से पूर्व विधायक ललित नागर और बल्लभगढ़ से शारदा राठौर ने निर्दलीय मैदान में उतरने का फैसला किया.
वहीं निर्दलीय चुनाव लड़ने वालों में चित्रा सरवारा (अंबाला छावनी) और रोहिता रेवड़ी (पानीपत शहर) भी शामिल हैं. बवानी खेड़ा से टिकट के दावेदार पूर्व विधायक राम किशन फौजी ने भी निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल किया है. सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के बाद कांग्रेस को भी हरियाणा में उन लोगों की नाराजगी का सामना करना पड़ रहा है, जिन्हें पार्टी ने टिकट देने से इनकार कर दिया है.
इन नेताओं ने जताई नाराजगी
फरीदाबाद के तिगांव में अपने समर्थकों की एक सभा को संबोधित करते हुए ललित नागर कहा कि "मैंने आप सभी को यह सोचकर आमंत्रित किया था कि मैं एक हवन करूंगा और फिर कांग्रेस उम्मीदवार के रूप में अपना नामांकन दाखिल करने जाऊंगा. लेकिन हमारे कुछ दुश्मनों ने साजिश रची और मेरी राजनीतिक हत्या करने का प्रयास किया." बता दें ललित नागर तिगांव विधानसभा क्षेत्र से टिकट के दावेदार थे, लेकिन कांग्रेस ने इस सीट से नए चेहरे रोहित नागर को मैदान में उतारा है
उन्होंने कहा कि अगर मेरी पार्टी ने कोई मजबूत उम्मीदवार दिया होता तो मैं समझ सकता था, लेकिन ऐसे उम्मीदवार को टिकट दिया गया है, जिसे यहां के लोग जानते तक नहीं हैं. उन्होंने अपने समर्थकों से सुझाव भी मांगे, जिन्होंने उन्हें निर्दलीय के तौर पर मैदान में उतरने को कहा. ललित नागर ने अपने समर्थकों से कहा कि अब आपको मेरा चुनाव लड़ना होगा.
वहीं पूर्व मंत्री निर्मल सिंह की बेटी चित्रा सरवारा ने कहा कि "उन्हें यह स्वीकार करने में मुश्किल हो रही है कि कांग्रेस ने उन्हें अंबाला छावनी से टिकट नहीं दिया गया. जबकि मैं पार्टी द्वारा किए गए सर्वे में सबसे आगे थी. साथ मैं निर्वाचन क्षेत्र में कड़ी मेहनत कर रही थी और लोगों से अच्छा समर्थन मिल रहा था."
सरवारा ने कहा कि मुझे नहीं पता कि मुझे क्यों नजरअंदाज किया गया. बता दें छह बार के विधायक और वरिष्ठ बीजेपी नेता अनिल विज अंबाला छावनी से एक बार फिर चुनाव लड़ रहे हैं. पिछले विधानसभा चुनाव में सरवारा ने कांग्रेस से टिकट न मिलने पर अंबाला छावनी से निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़ा था. वह विज से चुनाव हार गई थीं.
5 अक्तूबर को होगा मतदान
पूर्व विधायक और बल्लभगढ़ से टिकट की दावेदार शारदा राठौर भी कांग्रेस से टिकट न मिलने पर अपने समर्थकों के सामने रो पड़ीं. उनके समर्थकों ने आरोप लगाया कि पार्टी ने उनके साथ विश्वासघात किया है. हरियाणा में कांग्रेस 89 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. कांग्रेस ने गठबंधन के तहत भिवानी विधानसभा सीट सीपीआई (एम) को दी है. बता दें हरियाणा में सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए 5 अक्तूबर को मतदान होगा. इसके अलावा वोटों गिनती 8 अक्तूबर होगी. चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया खत्म हो चुकी है.