Haryana Assembly Election 2024: हरियाणा में कभी प्रमुख राजनीतिक ताकत रही इंडियन नेशनल लोकदल इस बार के विधानसभा चुनाव में सिर्फ 30 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. वहीं उसकी सहयोगी बहुजन समाज पार्टी 38 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. इनेलो को देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री रहे चौधरी देवीलाल की राजनीतिक विरासत भी कहा जाए तो कुछ गलत नहीं है. उनके बेटे ओमप्रकाश चौटाला ने अपने पांच अलग-अलग कार्यकालों में लगभग 2,245 दिनों तक हरियाणा पर शासन किया. उनका सबसे लंबा कार्यकाल 2 मार्च 2000 से 5 मार्च 2005 तक रहा.


2005 के बाद कमजोर पड़ने लगी इनेलो
2005 में चुनाव हारने के बाद इनेलो धीरे-धीरे कमजोर पड़ने लगी. इसके बाद पार्टी 2014 के चुनाव में कुछ हद तक वापसी करने में सफल रही. 2014 के चुनाव में इनेलो ने 19 सीटें जीतीं और बीजेपी के बाद दूसरी बड़ी पार्टी बन गई. कांग्रेस इस चुनाव में सिर्फ 17 सीटें जीत पाई थी. वहीं 2019 के चुनाव से पहले देवीलाल के दो पोतों यानी अभय और अजय चौटाला के बीच फूट खुलकर सामने आई. अजय चौटाला के बेटे दुष्यंत चौटाला ने जन नायक जनता पार्टी के नाम से एक पार्टी का गठन किया. 2019 में 88 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली जेजेपी ने 10 सीटों पर जीत दर्ज की. बीजेपी कम सीटें जीतीं तो उसने जेजेपी से गठबंधन कर लिया और दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री का पद मिला. 


पार्टी नेताओं की बगावत से कमजोर होती गई पार्टी
जाटों के वर्चस्व वाली इनेलो के कई बड़े नेता बीजेपी और कांग्रेस में भी चले गए हैं. इसकी वजह से अब राज्य में दो ही मुख्य पार्टियां हैं. इसमें एक बीजेपी और दूसरी कांग्रेस है. हालात ये है कि इनेलो के 31 पूर्व नेता बीजेपी और कांग्रेस की टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं. इनमें से कुछ नेताओं ने एक दशक पहले ही पाला बदल लिया था.


अब इनेलो में हमेशा ही लोगों के पार्टी छोड़कर जाने का खतरा बना रहता है. इसकी एक वजह पार्टी का स्पष्ट नेतृत्व नहीं है. वे अलग-अलग हिस्सों में बंटकर आपस में ही लड़ रहे हैं. गुटबाजी के कारण पार्टी का आधार खत्म सा हो गया है. 2018 में जब जेजेपी का गठन हुआ तभी से इनेलो का प्रभाव और कम हो गया है.


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