Haryana News: पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने शनिवार को दो राज्यों (हरियाणा और जम्मू-कश्मीर) में होने जा रहे विधानसभा चुनाव के लिए चुनावी रैलियों को संबोधित किया. बीजेपी का मानना है कि इससे इस अवधारणा को तोड़ने में बल मिलेगा कि टिकट कटने से हो रही बगावत के कारण रैली उनका चुनावी कैंपेन प्रभावित हुआ है.
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक बीजेपी के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि हरियाणा में स्थिति नियंत्रण में है, बीजेपी किसानों के विरोध प्रदर्शन की लहर से कुछ हद तक बच सकती है. हरियाणा में हार का मतलब पंजाब, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के बाद एक और राज्य विपक्ष के हाथ में चला जाएगा, जहां विरोध प्रदर्शनों को सबसे अधिक बल मिला है, हाल ही में लोकसभा चुनावों में बीजेपी को ऐसे ही यूपी में बड़ा झटका लगा है.
जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद चुनाव है और अगर बीजेपी यहां ठीक-ठाक नंबर ले आती है तो यह इसके मनोबल को बढ़ाएगा वहीं हरियाणा में बीजेपी नेता मानते हैं कि हरियाणा में अगर हार हुई तो उसका दूरगामी असर होगा. वह यह भी मानते हैं कि लोकसभा चुनाव के बाद विपक्ष ने एक गति पकड़ी है.
हरियाणा हारने से बिना रोक-टोक दिल्ली पहुंच सकेंगे प्रदर्शनकारी
पार्टी के एक नेता ने कहा, ''पंजाब और हरियाणा के प्रदर्शनकारियों को दिल्ली घुसने से पहले सीमा पर रोका जा सकता है. किसानों आंदोलन के चरम पर इसे राष्ट्रीय आंदोलन बनाने से रोका जा सकता है. हरियाणा को हारने का मतलब है कि विपक्ष समर्थित विरोध और प्रदर्शन बिना रोक-टोक के दिल्ली पहुंच सकता है.''
निवेश के लिहाज से भी अहम है हरियाणा
बीजेपी के लिए हरियाणा जीतना निवेश के लिहाज से भी महत्वपूर्ण है. यूपी के नोएडा के साथ-साथ हरियाणा का गुरुग्राम उत्तर भारत में इन्वेस्टेमेंट और रियल एस्टेट के लिए तेजी से विकसित होता क्षेत्र है. जबकि दो अहम केंद्र हैदराबाद और बेंगलुरु पहले से ही कांग्रेस शासित राज्यों में हैं. बीजेपी नेता कहते हैं, ''अगर गुरुग्राम में भी विपक्ष के पास चला गया, तो इसका मतलब है कि तेजी से बढ़ते सभी मेट्रो सिटी विपक्ष के पास चले जाएंगे.''
टिकट बंटवारे में गलती करने से बीजेपी का इनकार
हरियाणा बीजेपी में टिकट बंटवारे के बाद बगावत देखने को मिली और कुछ नेताओं ने पार्टी का साथ छोड़ दिया है. पार्टी नेता ने प्रत्याशियों की सूची किस प्रकार बनाई गई है इस पर भी सवाल उठाया है विशेषकर जब यूपी में लोकसभा चुनाव हारने में टिकट बंटवारा ही मुख्य कारण निकलकर आया था. हालांकि पार्टी से जुड़े कुछ लोग कहते हैं कि बगावत का मतलब यह नहीं है कि उम्मीदवार का चयन त्रुटिपूर्ण था. एक नेता ने कहा कि सूची बनाने में अभूतपूर्व सावधानी दिखाई गई, और सभी महत्वपूर्ण नेताओं के हितों को समायोजित किया गया.
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