Haryana Assembly Election Results 2024: हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आ गए हैं और बीजेपी कुल 48 सीटें और 39.94 फीसदी वोट शेयर पाकर तीसरी बार सरकार बना रही है. हालांकि, कांग्रेस को ऐसे नतीजों की उम्मीद बिल्कुल नहीं थी. दावा किया जा रहा था कि इस बार हरियाणा में सत्ता विरोधी लहर है. किसान, नौजवान और जवान तीनों ही बीजेपी से नाराज हैं और इसका फायदा कांग्रेस को मिलेगा, मगर हुआ इसका उल्टा.


तमाम एग्जिट पोल भी यही कह रहे थे, लेकिन इस बार बीजेपी को 2014 की मोदी लहर से भी ज्यादा सीटें मिलीं. ऐसे में सत्ता में वापसी का इंतजार कर रही कांग्रेस को बड़ा झटका लगा.


मतगणना की शुरुआत में ही कांग्रेस नेताओं और कार्यकर्ताओं ने '60 सीटें पार' का नारा देते हुए जश्न मनाना शुरू कर दिया था. हालांकि, समय के साथ ये जश्न फीका पड़ता चला गया, जब कांग्रेस के हाथ केवल 37 सीटें लगीं और ये सियासी वनवास पांच साल और बढ़ गया. 


वहीं, सीट काउंट और वोट शेयर के हिसाब से देखें तो बीते दो चुनावों की तुलना में इस बार कांग्रेस का प्रदर्शन और बेहतर हुआ. साल 2014 और 2019 से तुलना की जाए तो इस बार के चुनाव में कांग्रेस को सीटें और वोट शेयर दोनों ही ज्यादा मिले हैं. 


हरियाणा विधानसभा चुनाव 2014 
कांग्रेस की सीटें- 15
कांग्रेस का वोट शेयर- 20.58 फीसदी


हरियाणा विधानसभा चुनाव 2019
कांग्रेस की सीटें- 31
कांग्रेस का वोट शेयर- 28.08


हरियाणा विधानसभा चुनाव 2024
कांग्रेस की सीटें- 37
कांग्रेस का वोट शेयर- 39.09


यानी कांग्रेस के वोट शेयर में 11.01 परसेंट के भारी उछाल के साथ 6 सीटें भी बढ़ी हैं. वहीं, बीजेपी का वोट परसेंट केवल 3.45 पॉइंट बढ़ा. हालांकि, पार्टी को पिछली बार से 8 सीटें ज्यादा मिलीं. दोनों दलों के वोट प्रतिशत में भी ज्यादा अंतर नहीं दिखा.


भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ में ही कांग्रेस ने गंवाईं सीटें
हरियाणा में कांग्रेस की हार की वजहों पर अगर चर्चा की जाए, तो कई ऐसे क्षेत्र हैं जहां पार्टी थोड़ा ज्यादा ध्यान दे सकती थी. ये काम बीजेपी ने बखूबी किया और सत्ता की हैट्रिक लगाने में कामयाब रही. राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, सबसे पहले तो बीजेपी ने राज्य के गैर-जाट वोट बैंक को करीने से साधा. यही वजह रही कि भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गढ़ सोनीपत में ही कांग्रेस को पांच में से चार सीटों पर हार मिली.  


एक वजह कुमारी सैजला और भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खेमों में अनबन भी मानी जा रही थी. चुनाव से पहले ये चर्चा होने लगी थी कि कौन सा उम्मीदवार कुमारी सैलजा के गुट से आता है और कौन भूपेंद्र सिंह हुड्डा के गुट से. ये भी देखा जा रहा था कि किस कैंडिडेट का कनेक्शन डायरेक्ट कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व से है.


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