Haryana Assembly Elections 2024: हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा ने विधानसभा चुनाव के बाद राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने का दावा करते हुए गुरुवार (19 सितंबर) को अपराधियों को चेतावनी दी कि वे या तो अपराध छोड़ दें या फिर आठ अक्टूबर से पहले राज्य छोड़कर चले जाएं. हुड्डा ने अपनी रथयात्रा के सफीदों और जींद पहुंचने पर यह दावा किया.


उन्होंने अपराधियों को चेतावनी दी, "वे या तो अपराध छोड़ दें या आठ अक्टूबर से पहले राज्य छोड़कर चले जाएं." हरियाणा में पांच अक्टूबर को मतदान होगा और मतगणना आठ अक्टूबर को होगी. हुड्डा ने सफीदों विधानसभा सीट से कांग्रेस उम्मीदवार सुभाष गांगोली के समर्थन में मतदान करने की अपील करते हुए कहा कि कांग्रेस सरकार का लक्ष्य हरियाणा को विकसित और सुरक्षित बनाना है.


'हरियाणा को अपराधियों का बना दिया है अड्डा'
उन्होंने कहा कि जब 2005 में कांग्रेस हरियाणा की सत्ता में लौटी थी तो पार्टी ने अपराध पर अंकुश लगा दिया था और 10 साल तक कानून-व्यवस्था कायम रखी थी. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे प्रदेश की तरक्की हुई और हरियाणा विकास के मामले में देश में ‘नंबर वन’ राज्य बन गया था. उन्होंने कहा कि बीजेपी ने पिछले 10 वर्षों में हरियाणा को अपराधियों का अड्डा बना दिया है और अपराध के मामले में यह देश में नंबर वन राज्य बन गया है.


'कांग्रेस दो लाख रिक्त पदों को भरेगी'
भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि राज्य में हर दिन हत्या, दुष्कर्म, अपहरण की घटनाएं हो रही हैं और कोई भी सुरक्षित महसूस नहीं कर रहा है. पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि सत्ता में आने के बाद कांग्रेस दो लाख रिक्त पदों को भरेगी, पुरानी पेंशन योजना बहाल करेगी, बुजुर्गों को 6,000 रुपये प्रति माह पेंशन देगी, 300 यूनिट मुफ्त बिजली और हर घर में 500 रुपये में गैस सिलेंडर देगी.


कांग्रेस की गारंटी में है फसल मुआवजा
हुड्डा ने कहा कि इसके अलावा महिलाओं को हर महीने दो हजार रुपये, 25 लाख का मुफ्त इलाज, साथ ही 100 गज का भूखंड, एमएसपी की गारंटी और तत्काल फसल मुआवजा कांग्रेस की गारंटी में है. हुड्डा ने कहा कि इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो), जननायक जनता पार्टी (जजपा) और हरियाणा लोकहित पार्टी (हलोपा) तीनों ही बीजेपी की बी टीम हैं. उन्होंने कहा कि इस बार मुकाबला कांग्रेस और बीजेपी के बीच है.


ये भी पढ़ें: हरियाणा में 'हैंडपंप' गाड़ने से पीछे क्यों हटे जयंत चौधरी? RLD के सामने आखिर क्या थी मजबूरी