Haryana News: हरियाणा विधानसभा चुनाव के परिणाम सामने आने के बाद अब जातिगत वोटों पर चर्चा चल रही है किस पार्टी को किस जाति के वोट पड़े. इस बीच सीडीएस का एक सर्वे आया है जिससे यह जाहिर होता है कि चाहे वह चुनाव जीतने वाली बीजेपी (BJP) रही है यो उसकी मुख्य प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस (Congress) दोनों में से किसी को भी किसी भी जाति का एकमुश्त वोट नहीं मिला है. जातिगत वोटों में बिखराव नजर आया है.


दलित वोट की हरियाणा में खूब चर्चा रही है. सीएसडीएस की मानें तो 50 फीसदी जाटव मतदाताओं ने कांग्रेस को वोट दिया है जबकि 35 फीसदी ने बीजेपी के पक्ष में वोट डाले हैं. वहीं, अन्य अनुसूचित जातियों के बात करें तो इनमें से 45 फीसदी ने बीजेपी और 33 फीसदी ने कांग्रेस को अपना वोट दिया है. कांग्रेस सत्ता में वापसी करने के लिए दलित और जाट वोटों पर निर्भर रही है लेकिन बीजेपी ने कांग्रेस के दलित और जाट वोट बैंक में सेंध लगा दी.


एससी आरक्षित सीटों पर बीजेपी ने सुधारा प्रदर्शन
हरियाणा में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित 17 सीटें हैं इनमें से बीजेपी ने आठ जीत लीं.  बाकी नौ कांग्रेस ने जीती. बीजेपी ने दलित क्षेत्र वाले नीलोखेड़ी, पटौदी, खरखौदा, होडल, बावल, नरवाना, इसराना और बवानी खेड़ा पर जीत हासिल की. हैरानी की बात यह रही कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष उदयभान हार गए. उन्हें बीजेपी ने 2019 के विधानसभा चुनावों में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित पांच सीट जीती थी. 


क्या इस फैसले से मिला एससी वोट?
इस जीत में कहीं ना कहीं नायब सिंह सैनी सरकार के कुछ फैसलों का भी योगदान है जैसे कि उन्होंने अनुसूचित जाति आयोग की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था. सरकारी नौकरियों में आरक्षण के लिए धानक, बाजीगर, कबीरपंथी, वाल्मीकि, मजहबी और मजहबी सिख को वंचित अनुसूचित जातियों की श्रेणी में शामिल किया तो चमार, राहगर, रैगड़, रविदासी, रामदासी और मोची को अन्य एससी जातियों में उप-वर्गीकृत करने का फैसला किया. यह फैसला बीजेपी के लिए फायदेमंद रहा.


कांग्रेस के जाट वोटों में बीजेपी ने लगाई सेंध
बीजेपी ने सोनीपत, रोहतक और जींद जिलों के निर्वाचन क्षेत्रों में भी बड़ी संख्या में सीटें जीतीं. ये जाट बहुल क्षेत्र हैं. जाटों के गढ़ में बीजेपी ने पांच सीटें जीतीं. इनमें गोहाना, जींद, सफीदों, सोनीपत और उचाना कलां शामिल हैं. कांग्रेस ने बरोदा, बेरी, गढ़ी सांपला-किलोई, जुलाना, महम और रोहतक में जीत दर्ज की. कांग्रेस काफी हद तक जाट वोटों की एकजुटता और दलित वोटों पर निर्भर थी, लेकिन बीजेपी ने इन दोनों वोट बैंकों में बड़ी बढ़त हासिल की है. 


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