हरियाणा की आदमपुर विधानसभा सीट पर कुलदीप बिश्नोई के बेटे भव्य बिश्नोई को हार का सामना करना पड़ा. बीजेपी के टिकट पर वो मैदान में थे. नतीजों के बाद जब कुलदीप बिश्नोई समर्थकों के बीच पहुंचे तो वे अपने आंसू नहीं रोक सके. पीटीआई के मुताबिक, पांच दशक से अधिक समय में पहली बार भजनलाल परिवार हिसार जिले की आदमपुर सीट हार गया. आदमपुर परिवार का पारंपरिक गढ़ रहा है.
हरियाणा विधानसभा चुनाव के नतीजे वंशवाद के सहारे राजनीति में आगे बढ़ने वाले नेताओं के लिए चौंकाने वाले रहे. चुनाव में कई प्रमुख चेहरों को हार का सामना करना पड़ा, हालांकि कुछ ने जीत का स्वाद भी चखा. पूर्व मुख्यमंत्रियों भजन लाल, बंसी लाल और देवी लाल के कई रिश्तेदार चुनाव मैदान में थे. हारने वाले प्रमुख लोगों में इंडियन नेशनल लोक दल (आईएनएलडी) के नेता अभय सिंह चौटाला, बीजेपी के भव्य बिश्नोई और जननायक जनता पार्टी (जजपा) के दुष्यंत चौटाला शामिल हैं, जबकि विजेताओं की सूची में बीजेपी की श्रुति चौधरी और आरती राव सिंह शामिल हैं.
आदमपुर सीट से भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने पूर्व मुख्यमंत्री भजन लाल के पोते और इसी सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे विधायक भव्य बिश्नोई को मैदान में उतारा था, लेकिन वह कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र प्रकाश से 1,268 मतों के मामूली अंतर से हार गए. भव्य ने 2022 के उपचुनाव में यह सीट जीती थी. पहले इस सीट का प्रतिनिधित्व उनके पिता कुलदीप बिश्नोई और दादा भजन लाल करते थे.
भव्य के चाचा और कांग्रेस उम्मीदवार चंद्र मोहन ने हालांकि पूर्व विधानसभा अध्यक्ष और बीजेपी के विधायक रहे ज्ञान चंद गुप्ता के खिलाफ पंचकूला निर्वाचन क्षेत्र से जीत हासिल की. हरियाणा के तीन प्रसिद्ध ‘लाल’ के रिश्तेदार चुनावी मैदान में थे, जिनमें से कुछ एक-दूसरे के खिलाफ चुनाव लड़ रहे थे, वहीं अन्य प्रमुख राजनीतिक परिवारों से भी कुछ ऐसे लोग थे जिनके मैदान में उतरने से चुनावी जंग दिलचस्प हो गयी.
जब 1966 में हरियाणा को एक अलग राज्य बनाया गया, तब से इसकी राजनीति लगभग तीन दशकों तक तीन ‘लाल’ - देवी लाल, जिन्हें ‘ताऊ’ देवी लाल के नाम से जाना जाता है, भजन लाल और बंसी लाल - के इर्द-गिर्द घूमती रही है. इन सभी ने राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया है. देवी लाल देश के उपप्रधानमंत्री भी रहे.
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