Haryana Stubble Burning: सुप्रीम कोर्ट की फटकार के बाद हरियाणा में पराली जलाने वाले किसानों पर सरकार सख्त हो गई है. 23 अक्टूबर को सुप्रीम कोर्ट में पंजाब और हरियाणा के चीफ सेक्रेटरी खुद पराली प्रबंधन को लेकर उठाए गए कदमों का जवाब देंगे. 


सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई से पहले हरियाणा सरकार के कृषि विभाग ने किसानों को रेड कॉर्नर के दायरे में ला दिया है. एग्रीकल्चर विभाग ने शुक्रवार को सभी जिलों के जिला उपायुक्त को पत्र जारी कर कहा है कि जो किसान खेतों में पराली जलाएगा उसकी फसल को 2 सीजन के लिए एमएसपी पर नहीं खरीदा जाएगा. इसके साथ उन किसानों पर एफआईआर और जुर्माना भी लगाया जाएगा. 


कैथल कृषि विभाग के डिप्टी डायरेक्टर बाबू लाल का कहना है कि जिस खेत में पराली जलेगी, उस खेत की मेरी फसल-मेरा ब्यौरा पोर्टल पर रेड एंट्री कर दी जाएगी. इसके बाद किसान के उस रेड एंट्री वाले खेत की धान या गेहूं की फसल नहीं बिक पाएगी. इसके साथ एफआईआर भी दर्ज की जाएगी.


मामले पर कांग्रेस नेता की भी आई प्रतिक्रिया
वहीं सरकार के इस आदेश में कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला की भी प्रतिक्रिया आई है. उन्होंने एक्स पर पोस्ट कर लिखा कि एमएसपी ख़त्म करने का रोज़ नया षड्यंत्र हो रहा है. बीजेपी सरकार द्वारा 18 अक्टूबर, 2024 तक हरियाणा से पिछले साल के मुक़ाबले 53% धान कम ख़रीदा गया. बीजेपी सरकार द्वारा 18 अक्टूबर, 2024 तक पंजाब से पिछले साल के मुक़ाबले 39% धान कम खरीदा गया.


हरियाणा-पंजाब की मंडियां धान से अटी पड़ी हैं, किसान ₹2,320/क्विंटल के MSP के मुक़ाबले ₹2,100/₹2,200/क्विंटल धान बेचने को मज़बूर है. नॉन MSP धान 1509 की क़िस्म का धान पिछले साल के मुक़ाबले ₹700/800 प्रति क्विंटल कम बिक रहा है, पर कोई सुनने वाला नहीं.


रणदीप सुरजेवाला ने आगे लिखा कि हरियाणा की बीजेपी सरकार ने तो मजबूरी में पराली जलाने वाले किसान की फसल MSP पर दो साल तक ख़रीदने का फ़रमान जारी कर दिया है. आए दिन, BJP का किसान विरोधी चेहरा उजागर है.


बता दें कि हरियाणा में 15 सितंबर के बाद से पराली अवशेषों में आग लगाने के 627 केस आ चुके है. जिसमें कैथल जिले में सबसे ज्यादा पराली जलाई जा रही है. कैथल में आज सुबह के आंकड़े के अनुसार 117 घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं. वहीं दूसरे स्थान पर कुरूक्षेत्र में 89 और तीसरे नंबर पर अंबाला में 71 घटनाएं दर्ज हुई है.


सुनील रवीश की रिपोर्ट.


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