प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सीएम योगी आदित्यनाथ कर्मभूमि गोरखपुर के जैतपुर एरिया के सुमेर सागर तालाब से अवैध कब्जा हटाने की कार्यवाई का रास्ता साफ कर दिया है. कोर्ट ने 2006 में तत्कालीन जिलाधिकारी द्वारा सुप्रीम कोर्ट के हींचलाल तिवारी केस के आधार पर अवैध निर्माण हटाने के आदेश के तहत 14 साल बाद शुरू हुई कार्यवाई के खिलाफ याचिका खारिज कर दी है.
कोर्ट ने कहा है कि सार्वजनिक उपयोग की तालाब भूमि से अवैध कब्जा हटाने की कार्यवाही करने की सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत जिलाधिकारी का दायित्व है. भले ही भूमि प्राइवेट लोगो के नाम दर्ज है. जिस तरह से जिलाधिकारी के आदेश मे सिलसिलेवार व्योरा दिया गया है, याची को राहत देने का कोई स्कोप नही है. कोर्ट ने याची से कहा है कि वह चाहे तो न्यायालय मे अपने स्वामित्व की घोषणा का दावा कर सकता है.
यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीता अग्रवाल तथा न्यायमूर्ति विवेक वर्मा की खंडपीठ ने अवधेश कुमार श्रीवास्तव की याचिका पर दिया है. याचिका पर अधिवक्ता आदर्श भूषण तथा राज्य सरकार के अधिवक्ता बी पी सिंह कछवाहा ने बहस की.
मालूम हो कि जिलाधिकारी गोरखपुर ने एक कमेटी गठित कर सुमेर सागर तालाब से अवैध कब्जा हटाने की रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया. कमेटी ने 6 अप्रैल 2006 को रिपोर्ट दी, जिसके आधार पर जिलाधिकारी ने 15 अप्रैल 2006 को तालाब भूमि पर प्राइवेट लोगो के दर्ज नाम को अवैध करार दिया और अवैध कब्जा खाली कराने का निर्देश दिया.