प्रयागराज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बेसिक शिक्षा निदेशक उ प्र से व्यक्तिगत हलफ़नामा मांगा है तथा पूछा है कि प्राइमरी स्कूलों में सहायक अध्यापको की नियुक्ति का मापदंड विभिन्न जिलों में अलग अलग क्यों है. जम्मू-कश्मीर विश्वविद्यालय से एलिमेन्ट्री टीचर्स ट्रेनिंग कोर्स डिप्लोमा धारकों को कुछ जिलों में वैध मानते हुए नियुक्ति की गयी है और शामली बी एस ए ने डिप्लोमा को अमान्य कर नियुक्ति देने से इंकार कर दिया है. जिसे चुनौती दी गयी है.


यह आदेश न्यायमूर्ति पंकज भाटिया ने शामली की श्रीमती शालू शर्मा और की याचिका पर दिया है .याचिका पर अधिवक्ता राघवेन्द्र प्रसाद मिश्र ने बहस की.


याची का कहना है कि 68500 सहायक अध्यापक भर्ती में शामिल याचियो की काउन्सिलिंग की गयी लेकिन नियुक्ति नही की गयी. हाईकोर्ट ने बीएसए शामली को निर्णय लेने का निर्देश दिया तो उन्होंने यह कहते हुए नियुक्ति देने से इंकार कर दिया कि जम्मू-कश्मीर में एनसीटीई के नियम लागू नही होते. जिसे चुनौती दी गयी है. याची का कहना है कि अब जम्मू-कश्मीर में भी एनसीटीइ के नियम लागू है. ऐसे डिप्लोमा धारकों को कुछ जिलों में वैध मानते हुए नियुक्ति की गयी है और वे कार्यरत हैं.


कोर्ट ने जवाब मांगा तो बीएसए शामली ने हलफनामा दाखिल किया. उन्हे ऐसे डिप्लोमा धारकों की नियुक्ति की जानकारी ही नही है. कोर्ट ने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि एक ही भर्ती में भिन्न भिन्न जिलों में नियुक्ति प्रक्रिया भिन्न कैसे है.इस पर बेसिक शिक्षा निदेशक से व्यक्तिगत हलफ़नामा दाखिल कर स्थिति स्पष्ट करने का निर्देश दिया है. याचिका की अगली सुनवाई 3 सितम्बर को होगी. कोर्ट ने कहा है कि यदि हलफ़नामा दाखिल नही हुआ तो कोर्ट निदेशक को तलब करेगी.