Himachal Suicide Cases: पटरी पर लौट रही जिंदगी! सुसाइड के मामले में 14 फीसदी की कमी
Himachal Suicide Data: 2019 में हिमाचल में 709 लोगों ने सुसाइड की और 2020 व 2021 में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप चरम पर पहुंचने के दौरान अपनी जान लेने वाले लोगों की संख्या 855 और 889 दर्ज की गई.
Shimla: हिमाचल प्रदेश में 2021 के मुकाबले 2022 में आत्महत्या के मामलों में 14 फीसदी की कमी दर्ज की गई. पुलिस विभाग से मिले आंकड़ों के मुताबिक, 2021 में राज्य में जहां सुसाइड के 889 मामले सामने आए थे, वहीं 2022 में यह संख्या घटकर 758 हो गए हैं. मालूम हो कि कोविड-19 महामारी के दौरान नौकरियां जाने, खराब सेहत और भविष्य को लेकर अनिश्चितताओं के कारण हिमाचल में आत्महत्या के मामलों में बढ़ोतरी हुई थी. आंकड़ों के अनुसार राज्य में 2020 से 2022 के बीच कुल 2,505 लोगों ने खुदकुशी की, जिनमें 1,710 पुरुष और 792 महिलाएं शामिल हैं.
इनमें बताया गया है कि 2019 में हिमाचल में 709 लोगों ने आत्महत्या की और 2020 व 2021 में कोरोना वायरस महामारी का प्रकोप चरम पर पहुंचने के दौरान अपनी जान लेने वाले लोगों की संख्या 855 और 889 दर्ज की गई. आंकड़ों के अनुसार, राज्य में 2020 से 2022 के बीच सुसाइड करने वालों में 28 फीसदी मजदूर, 24 फीसदी गृहिणी, 11 फीसदी छात्र, 10 फीसदी निजी कंपनियों के कर्मचारी, चार फीसदी व्यवसायी और सरकारी कर्मी, तीन फीसदी किसान और 16 फीसदी अन्य लोग शामिल हैं. आंकड़ों के मुताबिक, आत्महत्या के ज्यादातर मामले से दांपत्य जीवन में तनाव, वित्तीय चिंताओं, नशीले पदार्थों की लत, बीमारी, बेरोजगारी, असफल प्रेम प्रसंग और अन्य पारिवारिक समस्याओं से जुड़ी समस्याएं शामिल थी.
इस उम्र के लोग ज्यादातर करते हैं सुसाइड
पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय कुंडू ने बताया कि, हमने आत्महत्या के मामलों का रिकॉर्ड रखने के लिए रजिस्टर संख्या 27 बनाया और इस तरह के कदमों के पीछे के कारणों का विश्लेषण किया. हमने स्वास्थ्य और सामाजिक न्याय विभाग के माध्यम से सुधारात्मक कदम उठाने के लिए हस्तक्षेप शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप सुसाइड के मामलों में कमी आई. आंकड़ों के अनुसार, सुसाइड करने वालों की उम्र का विश्लेषण करने पर पता चला कि 18 से 35 साल के आयुवर्ग में शामिल छात्रों और नवविवाहितों के अलावा 35 से 50 साल के आयुवर्ग के ऐसे लोगों के आत्महत्या करने की आशंका ज्यादा होती है, जो शादीशुदा जिंदगी या करियर में तनाव के दौर से गुजर रहे हैं.
कोरोना के दौरान बढ़े थे सुसाइड केस
हिमाचल प्रदेश राज्य मानसिक स्वास्थ्य प्राधिकरण (एचपीएसएमएचए) के पूर्व सीईओ (मुख्य निर्वाचन अधिकारी) और मानसिक स्वास्थ्य विशेषज्ञ डॉ. संजय पाठक ने सुसाइड के मामलों में कमी के लिए कोविड-19 और उससे पैदा तनाव को जिम्मेदार ठहराया. वहीं एचपीएसएमएचए की ओर से किए गए एक सर्वे में हिमाचल प्रदेश में 42.92 फीसदी लोगों के अपने और अपने परिवार के भविष्य को लेकर चिंतित होने की बात सामने आई थी. सर्वे से पता चला था कि 40.46 प्रतिशत लोग आर्थिक नुकसान के कारण तनावग्रस्त रहते थे. जबकि 50 फीसदी महामारी संबंधी खबरों से परेशान और डिप्रेशन फील करते थे.
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