Asia Richest Village: हिमाचल का ये गांव है पूरे एशिया में सबसे अमीर, इस फल की खेती से बना हर घर करोड़पति
Asia Richest Village News: हिमाचल प्रदेश के जिला शिमला के चौपाल में स्थित एक गांव एशिया का सबसे अमीर गांव है. यहां मेहनतकश बागवानों ने एशिया का सबसे अमीर गांव बनने का गौरव हासिल किया है.
Asia Richest Village In Himachal: हिमाचल प्रदेश की राजधानी शिमला से करीब 70 किलोमीटर की दूरी पर एक ऐसा गांव है, जिसके नाम एशिया के सबसे अमीर गांव का गौरव है. हम बात कर रहे हैं जिला शिमला के चौपाल के मड़ावग गांव की. ये गांव साल 2016 में एशिया का सबसे अमीर गांव बना था. यहां के मेहनतकश बागवानों के कड़े परिश्रम से ऐसा संभव हो सका.
मड़ावग गांव के बागवानों ने बाहर नौकरी के पीछे दौड़ने की बजाए अपने पूर्वजों की सेब बागवानी के काम को आगे बढ़ाया और सेब से समृद्धि हासिल की. सेब ने ही यहां हर परिवार को करोड़पति बनाया है. इससे पहले क्यारी गांव भी 1980 के दशक में एशिया का सबसे अमीर गांव रह चुका है. क्यारी गांव को भी सेब की वजह से ही ऐसी समृद्धि हासिल हुई. मड़ावग गांव में प्रति व्यक्ति सालाना आय करीब 75 लाख रुपये है.
हर साल करीब चार करोड़ पेटी का उत्पादन
विश्व भर में हिमाचल प्रदेश तेजी से राज्य के तौर पर भी स्थापित हो रहा है. यहां करीब चार लाख परिवार सेब बागवानी के साथ जुड़े हुए हैं. राज्य में हर साल करीब तीन करोड़ से चार करोड़ सेब की पेटी का उत्पादन होता है. अब प्रदेश के बागवान विदेशी किस्म का सेब भी लगा रहे हैं. बागवानी बीते कुछ वक्त में वैज्ञानिक तौर पर उन्नत हुई है और इसका सीधा फायदा बागवानों को मिल रहा है. हालांकि, बीते कुछ सालों में सेब बागवानों के लिए मौसम भी बेईमान हुआ है और मौसम का साथ न मिलने से बागवान परेशान भी हैं.
साल 1954 में पहली बार लगाया सेब का पौधा
साल 1954 में मड़ावग गांव में लोग आलू के साथ अन्य नकदी फसल करते थे तब शिमला के ही कोटगढ़ में सेब बागवानी सफल हो चुकी थी और धीरे-धीरे रफ्तार भी पकड़ रही थी. इसी दौरान मड़ावग गांव के किसान चेइंयां राम मेहता ने शिमला की मंडी में आलू की फसल बेचकर कोटखाई से सेब के पौधे खरीद लिए थे. बताया जाता है कि तब मड़ावग के किसान आलू की फसल के आगे कुछ भी नहीं सोच सकते थे. उनका उस वक्त विरोध भी हुआ. चेइंयां राम ने उनके विरोध की परवाह नहीं की और सेब के पौधे लगाए.
साल 1966 में पहली बार 8 हजार रुपये की कमाई
करीब 12 साल बाद, साल 1966 में जब सब के पौधे ने पहली बार फल दिए, तो चेइंयां राम ने आठ हजार रुपये की भारी भरकम कमाई की. गांव के लोगों ने पहली बार इतनी बड़ी रकम एक साथ देखी और फिर गांव ने सेब लगाने की शुरुआत कर दी. नतीजन, मड़ावग आज एशिया का सबसे अमीर गांव है. इससे पहले ये खिताब गुजरात के माधवपुर के पास था.
गौर हो कि सबसे अमीर गांव की गणना में इलाके के लोगों का बैंक डिपॉजिट के साथ घर और गाड़ियों की कीमत देखी जाती है. एसडीएम स्तर पर संपत्ति का आकलन होता है और इसके बाद ही इस तरह सबसे अमीर गांव की घोषणा होती है.
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