Atal Bihari Vajpayee 100th Birthday: आज पूरा देश पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती मना रहा है. यह उनकी शताब्दी जयंती है. अटल बिहारी वाजपेयी को देशभर में अटल जी के नाम से पुकारा जाता था. वाजपेयी ऐसे राजनीतिज्ञ थे, जिन्हें न सिर्फ सत्तापक्ष के बल्कि प्रतिपक्ष के लोग भी पसंद किया करते थे. अटल जी के पास सभी को साथ लेकर चलने का अद्भुत जादू था. उनका जन्म 25 दिसंबर 1924 को ग्वालियर में हुआ. वे तीन बार देश के प्रधानमंत्री बने.
पहली बार 13 दिन और दूसरी बार 13 महीने की सरकार चलाने के बाद तीसरी बार अटल बिहारी वाजपेयी ने प्रधानमंत्री के तौर पर अपना कार्यकाल पूरा किया. हालांकि साल 2004 में शाइनिंग इंडिया का नारा भी सफल न होने की वजह से उन्हें बड़ा झटका भी लगा.
अटल बिहारी वाजपेयी का दूसरा घर हिमाचल
साल 2015 में अटल बिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किया गया. 16 अगस्त 2016 को लंबी बीमारी के बाद उनका निधन हुआ. पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का हिमाचल प्रदेश से खास नाता था. वह हिमाचल प्रदेश को अपना दूसरा घर मानते थे. हिमाचल सिर्फ कहने के लिए ही उनका दूसरा घर नहीं था, बल्कि यह उनके व्यवहार में भी नजर आता था. मनाली के छोटे बच्चे तो अटल बिहारी वाजपेयी को अपना मां का कर पुकारते थे.
हिमाचल प्रदेश से था खास नाता
अटल बिहारी वाजपेयी गर्मियों की छुट्टियां बिताने हिमाचल आया करते थे. मनाली के प्रीणी में उनका दूसरा घर है. वे प्रधानमंत्री रहते हुए भी कई बार गर्मियों की छुट्टियां बिताने यहां पहुंचे. जब वे यहां आते, तो प्रधानमंत्री कार्यालय का सारा काम यहीं से चलता था. अटल बिहारी वाजपेयी के हिमाचल आने से यहां के लोगों को केंद्र सरकार की विशेष आर्थिक मदद भी मिलती थी. हालांकि प्रधानमंत्री के आने से लोगों को परेशानी का भी सामना करना पड़ता था.
दरअसल अटल बिहारी वाजपेयी जब भी मनाली आते, तो सिक्योरिटी प्रोटोकॉल के मुताबिक आसपास के होटल में को पूरी तरह खाली करा लिया जाता. इससे पर्यटन कारोबारी और स्थानीय लोग बहुत परेशान थे. वरिष्ठ पत्रकार प्रो. शशिकांत शर्मा बताते हैं कि एक बार एक दैनिक समाचार पत्र ने अटल बिहारी वाजपेयी के हिमाचल आने से पहले इस खबर को प्रमुखता से छापा. प्रोटोकॉल के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल उन्हें रिसीव करने चंडीगढ़ पहुंचे. जहां हेलीकॉप्टर में उन्हें हिमाचल के दैनिक समाचार पत्र दिए गए. एक खबर पर अटल बिहारी वाजपेयी की नजर पड़ी, जिसमें यह लिखा था कि 'अटल बिहारी वाजपेयी के आने से लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है.'
वाजपेयी ने घर से बाहर नहीं जाने का लिया था फैसला
अटल बिहारी वाजपेयी उस खबर को पढ़कर बेहद निराश हुए और उन्हें परेशान देखकर प्रेम कुमार धूमल की चिंताएं उनसे भी ज्यादा बढ़ गईं. प्रेम कुमार धूमल ने खबर लिखने वाले पत्रकार को फोन कर कहा कि अगर प्रधानमंत्री नाराज होकर वापस लौटे, तो इसके जिम्मेदार वही होंगे. बातचीत के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने हिमाचल में रहने का ही फैसला लिया, लेकिन उन्होंने यह तय किया कि वह घर से बाहर नहीं जाएंगे. उनकी सभी बैठकें और कार्यक्रम घर पर ही होंगे. साथ ही उन्होंने सिक्योरिटी को भी हिदायत दी कि आस-पास के होटलों को खाली न करवाया जाएं.
वाकपटुता के लिए मशहूर थे अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी ने यह सुनिश्चित करने के लिए कहा कि लोगों को परेशानी न हो. इसके बाद खबर छापने वाले पत्रकार ने अगले दिन के समाचार पत्र के अंक में लिखा कि 'अटल बिहारी वाजपेयी इतने सहज और सरल स्वभाव के हैं कि लोगों की परेशानी के चलते, उन्होंने अब घर पर ही रहने का फैसला लिया है'. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी कई दिन अपने घर पर रहे और यहीं से अपने सारे काम निपटाए. भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी अपनी वाकपटुता और भिन्न काव्य शैली के लिए विश्व भर में मशहूर थे. पक्ष-विपक्ष के लोग उन्हें घंटों बैठकर सुना करते थे.
'तुम्हारे मामा की नौकरी चली गई'
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कई बार शिमला में भी कविता पाठ किया. एक बार प्रधानमंत्री की कुर्सी जाने के बाद जब अटल हिमाचल आए, तो उन्होंने बच्चों को मिठाई दी और कहा कि इस बार मिठाई कम है, क्योंकि उनके मामा की नौकरी चली गई है. अटल बिहारी वाजपेयी को शायद मालूम नहीं था कि बच्चे मिठाई के लिए नहीं, बल्कि उनके प्यार और स्नेह के लिए उनके पास आते हैं. अटल बिहारी वाजपेयी के निधन के बाद भी हिमाचल के लोगों के दिल से वे नहीं निकले हैं.
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