Atal Bihari Vajpayee Death Anniversary: देश के पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की आज छठवीं पुण्यतिथि मनाई जा रही है. 25 दिसंबर 1924 को जन्मे अटल बिहारी वाजपेयीका आज ही के दिन साल 2018 में निधन हो गया था.
बीमारी के कारण वाजपेयी पहले ही सक्रिय राजनीति से संन्यास ले चुके थे. वाजपेयी की पहचान देश भर में सर्वमान्य नेता के तौर पर थी. विपक्ष के नेता भी वाजपेयी को पसंद किया करते थे. उनकी कार्यशैली की चर्चा आज भी की जाती है. लोग उन्हें 'अटल जी' कहकर ही याद करते हैं. चुनाव के दौरान दिया गया 'अब की बारी, अटल बिहारी' का नारा आज भी खूब प्रचलित है.
अटल बिहारी वाजपेयी का हिमाचल प्रदेश से खास नाता रहा है. गर्मियों की छुट्टियां बिताने वाजपेयी हिमाचल आया करते थे. अटल बिहारी वाजपेयी हिमाचल को दूसरा घर मानते थे. मनाली के प्रीणी में उनका दूसरा घर है. प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए भी उन्होंने कई बार गर्मियों की छुट्टियां हिमाचल में बिताई. वाजपेयी के आगमन पर प्रधानमंत्री कार्यालय का सारा काम हिमाचल से चलता था. उनके आने से हिमाचल के लोगों को केंद्र सरकार की विशेष आर्थिक मदद भी मिलती थी. हालांकि प्रधानमंत्री के आने से लोगों को परेशानी का भी सामना करना पड़ता था.
मनाली आगमन पर आस-पास के होटल को पूरी तरह खाली करा लिया जाता. इससे पर्यटन कारोबारी और स्थानीय लोग बहुत परेशान थे. वरिष्ठ पत्रकार प्रोफेसर शशिकांत शर्मा बताते हैं कि एक बार एक दैनिक समाचार पत्र ने अटल बिहारी वाजपेयी के हिमाचल आने से पहले इस खबर को प्रमुखता से छापा. प्रोटोकॉल के मुताबिक तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल प्रधानमंत्री को रिसीव करने चंडीगढ़ पहुंचे. हेलीकॉप्टर में प्रधानमंत्री को हिमाचल के दैनिक समाचार पत्र दिए गए. एक खबर पर अटल बिहारी वाजपेयी की नजर पड़ी. खबर में लिखा था कि 'अटल बिहारी वाजपेयी के आने से लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ता है.'
क्यों घर से बाहर नहीं जाने का लिया था फैसला?
अटल बिहारी वाजपेयी उस खबर को पढ़कर बेहद हताश-निराश हुए. परेशान देखकर प्रेम कुमार धूमल की चिंताएं भी ज्यादा बढ़ गईं. प्रेम कुमार धूमल ने खबर लिखने वाले पत्रकार को फोन कर कहा कि अगर प्रधानमंत्री नाराज होकर वापस लौटे, तो इसके जिम्मेदार वही होंगे. बातचीत के बाद अटल बिहारी वाजपेयी ने हिमाचल में रहते हुए घर से बाहर नहीं निकलने का फैसला कर लिया. उनकी सभी बैठकें और कार्यक्रम घर पर ही होंगे. साथ ही उन्होंने सिक्योरिटी को भी हिदायत दी कि आस-पास के होटलों को खाली न करवाया जाए.
वाकपटुता के लिए मशहूर थे अटल बिहारी वाजपेयी
अटल बिहारी वाजपेयी ने सुनिश्चित करने के लिए कहा कि लोगों को परेशानी न हो. इसके बाद खबर छापने वाले पत्रकार ने अगले दिन के समाचार पत्र में लिखा कि 'अटल बिहारी वाजपेयी इतने सहज और सरल स्वभाव के हैं कि लोगों की परेशानी के चलते, उन्होंने अब घर पर ही रहने का फैसला लिया है'. इसके बाद अटल बिहारी वाजपेयी कई दिन अपने घर पर रहे और यहीं से अपने सारे काम निपटाए. भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी अपनी वाकपटुता और भिन्न काव्य शैली के लिए विश्व भर में मशहूर थे. पक्ष-विपक्ष के लोग उन्हें घंटों बैठकर सुना करते थे.
कई बार शिमला में भी किया था कविता पाठ
पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने कई बार शिमला में भी कविता पाठ किया. एक बार प्रधानमंत्री की कुर्सी जाने के बाद जब अटल हिमाचल आए, तो उन्होंने बच्चों को मिठाई दी और कहा कि इस बार मिठाई कम है, क्योंकि उनके मामा की नौकरी चली गई है. अटल बिहारी वाजपेयी को शायद मालूम नहीं था कि बच्चे मिठाई के लिए नहीं, बल्कि उनके प्यार और स्नेह के लिए उनके पास आते हैं. हिमाचल के लोग आज भी दिल से अटल बिहारी वाजपेयी को बहुत याद करते हैं.
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