अतुल सुभाष सुसाइड मामला बहस का विषय बना हुआ है. पति-पत्नी के संबंधों के बीच तनाव का नतीजा किस स्तर तक जा सकता है, इस पर भी चर्चा हो रही है. 498(A) कानून भी बहस के केंद्र में है. इस बीच बीजेपी की सांसद कंगना रनौत की प्रतिक्रिया सामने आई है.
बीजेपी की सांसद ने कहा कि इस तरह के मामले के आने के बाद रिव्यू तो करना ही चाहिए. इस तरह की घटना से निपटने के लिए एक अलग बॉडी भी होनी चाहिए. हम शोक में भी हैं और शॉक में भी हैं. कंगना ने कहा, "उनका वीडियो दिल दहला देने वाला है. अगर शादी के रिश्ते के लोग धंधा बना लेंगे तो ये सब निंदनीय है. युवाओं पर इस तरह का बोझ नहीं होना चाहिए. प्रेशर में आकर लड़के ने ऐसा किया. एक गलत महिला का उदहारण लेकर हर दिन जितनी महिलाओं को हर दिन प्रताड़ित किया जा रहा है, हम उसे नहीं झुलटा सकते. 99 फीसदी शादियों में पुरुषों का ही दोष होता है, इसलिए ऐसी गलतियां भी हो जाती हैं."
अतुल सुभाष ने सुसाइड करने से पहले एक वीडियो बनाया था. ये वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. उन्होंने अपनी पत्नी और ससुरालवालों पर सुसाइड के लिए उकसाने का आरोप लगाया. अतुल यूपी के जौनपुर के रहने वाले थे और बेंगलुरू में एआई इंजीनियर के तौर पर कार्यरत थे. पुलिस को 24 पन्नों का सुसाइड नोट भी मिला है.
498(A) चर्चा के केंद्र में क्यों?
आईपीसी की धारा 498ए पति या उसके रिश्तेदारों द्वारा महिला के साथ क्रूरता करने पर सजा का प्रावधान करता है. बार काउंसिल ऑफ इंडिया के चेयरमैन और बीजेपी के राज्यसभा सांसद ममन कुमार मिश्रा कहते हैं, "498ए का जहां तक सवाल है, पूरा समाज जानता है कि आज की तारीख में इसका दुरुपयोग ज्यादा हो रहा है. सदुपयोग कम हो रहा है. मदर इन लॉ, फादर इन लॉ, सिस्टर इन लॉ, ब्रदर इन लॉ, मामा-मामी, मौसा-मौसी सबको फंसा दिया जाता है."
इसके साथ ही उन्होंने कहा, "इस कानून के प्रावधान में थोड़े बदलाव की आवश्यकता है. बेल को नॉन-बेलेबल से बेलेब कर दिया जाए. घर में छोटा सा झगड़ा होने पर महिलाएं 498(A) का केस कर देती हैं. मैं महिलाओं को दोष नहीं देता हूं लेकिन चंद महिलाओं की वजह से जिन्होंने इसका दुरुपयोग करना शुरू किया है, कई महिलाओं को दिक्कत होगी."
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