Bhartiya Nyaya Sanhita- BNS: देशभर में भारतीय न्याय संहिता लागू हो चुकी है. अब भारतीय दंड संहिता की जगह भारतीय न्याय संहिता ने ली है. इसी के तहत देशभर में अब कानून व्यवस्था काम भी करेगी. हिमाचल प्रदेश के जिला मंडी में भारतीय न्याय संहिता के तहत पहला मामला दर्ज किया गया.
सोमवार यानी 1 जुलाई की शुरुआत के बाद ही हिमाचल पुलिस ने देर रात भारतीय न्याय संहिता- 2023 के नए प्रावधानों के तहत पहले अभियोग दर्ज किया. यह अभियोग जिला मंडी के तहत आने वाले पुलिस थाना धनोटू में दर्ज किया गया.
भारतीय न्याय संहिता के तहत पहला अभियोग
हिमाचल प्रदेश के एडीजीपी लॉ एंड ऑर्डर अभिषेक त्रिवेदी ने बताया कि प्रदेश में दर्ज इस पहले मामले में को अभियोग संख्या- 64/2024 के तहत दर्ज किया गया. इसमें धारा 126(2), 115(2), 352 और 351(2) के तहत मामला दर्ज किया गया है. सोमवार दोपहर को अब तक कुल पांच अभियोग दर्ज किए गए. यह सभी अभियोग पांच अलग-अलग थानों में दर्ज किए गए हैं. इनमें धनोटू, ढली सदर, हमीरपुर अंब और पुलिस थाना नूरपुर शामिल है. इन पांच थानों में भारतीय न्याय संहिता के तहत मामले दर्ज किए गए हैं. इन अभियोगों का आगामी अन्वेषण भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- 2023 के प्रावधानों के तहत किया जाएगा.
1 जुलाई से लागू हुए हैं नए कानून
बता दें कि बीते साल ही केंद्र सरकार ने ब्रिटिश शासनकाल के दौरान कानून में के दौरान बने कानून में बदलाव किया है. अब साल 2023 में बने नए कानून के तहत कार्रवाई अमल में लाई जाएगी. इन कानून का उद्देश्य सजा के स्थान पर न्याय देना है. तीन नए आपराधिक कानून का उद्देश्य नागरिकों को जल्द और प्रभावी न्याय देना भी है. इसके लिए सभी राज्यों के पुलिस को प्रतिबद्धता के साथ काम करने के लिए भी कहा गया है.
भारतीय आत्मा वाले नए कानून
साल 2023 में 25 दिसंबर को नए आपराधिक कानून- 2023 यानी भारतीय न्याय संहिता- 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता- 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम- 2023 के लागू होने के साथ ही भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत माना जा रहा है. पुराने कानूनों में हत्या और महिलाओं के साथ दुर्व्यवहार के खिलाफ कार्रवाई को प्राथमिकता देने के बजाय ब्रिटिश ताज की सुरक्षा को प्राथमिकता दी गई थी.
तीनों नए प्रमुख अधिनियमों का उद्देश्य दंड नहीं, न्याय देना है. पहली बार भारतीय आत्मा वाले इन तीन आपराधिक प्रमुख कानूनों के माध्यम से आपराधिक न्याय प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाई गई व्यवस्था द्वारा संचालित होगी.