Himachal Pradesh Elections 2022: हिमाचल प्रदेश में 12 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने वाले हैं. इस चुनाव के लिए सभी पार्टियों ने अपनी तैयारियां शुरू कर दी है. बीजेपी ने पहली बार अपनी पार्टी के अंदर 16 अक्टूबर को एक सीक्रेट वोटिंग करवाई है. इस वोटिंग का मकसद उम्मीदवारों का चयन करने लिए था.


इस चुनाव के लिए दिल्ली से बाकायदा बैलेट बॉक्स दिल्ली से शिमला लाए गए थे. इसके बाद रविवार को सुबह बैलेट बॉक्स चारो संसदीय क्षेत्रों में भेजे गए थे. पार्टी के भीतर इस चुनाव के लिए प्रदेश के नेता को फोन करके पार्टी दफ्तर बुलाया गया था.

आज दिल्ली में हुई बैठक
बीजेपी ने पार्टी के भीतर यह चुनाव इसलिए कराया ताकि उन्हें चारों संसदीय क्षेत्रों से जनता के पहली पसंद का पता चल सके. उम्मीदवारों के टिकट तय करने से पहले बीजेपी ने पहली बार इस तरह का प्रयोग किया है. पार्टी इतनी मेहनत इसलिए कर रही है क्योंकि इस बार हिमाचल प्रदेश में टिकट बांटना बीजेपी के लिए बहुत बड़ा सिरदर्द का कारण बना हुआ है. आज बीजेपी शीर्ष नेताओं की बैठक हिमाचल प्रदेश कोर कमेटी के साथ दिल्ली के हरियाणा भवन में हुई. इस बैठक में मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर,पूर्व सीएम प्रेम कुमार धूमल, केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर,राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सौदान सिंह समेत कई अन्य पदाधिकारी भी मौजूद थे.

सर्वे में उत्साहित करने वाले संकेत नहीं आए थे
बीजेपी ऐसा इसलिए कर रही है ताकि पार्टी जयराम ठाकुर सरकार के एंटी-इनकंबेंसी फैक्टर से निपट सके. एबीपी न्यूज के लिए सी-वोटर ने जो सर्वे किया था, उसमें सरकार के कामकाज को लेकर बहुत उत्साहित करने वाले संकेत सामने नहीं आए थे. इस सर्वे में जयराम सरकार के कामकाज को अच्छा और खराब कहने वालों के बीच महज 3 फीसदी का अंतर था. सत्ता विरोधी लहर के चलते बीजेपी अपने कई विधायकों के टिकट भी काट सकती है.

सर्वे को गंभीरता से ले रही है पार्टी

वैसे हिमाचल में अब तक सरकार के रिपीट होने का चलन नहीं रहा है. यहां हर पांच साल के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच सत्ता बदलती रहती है. बीजेपी अपने मौजूदा विधायकों के टिकट काटकर सत्ता विरोधी रुझान का जो काट उत्तराखंड में ढूंढी थी, उसे हिमाचल में भी लागू कर सकती है. वैसे एबीपी न्यूज के लिए सी-वोटर ने जो सर्वे किया है. उसके मुताबिक बीजेपी के लिए राहत की बात ये है कि वो हिमाचल में उनकी सरकार रिपीट करती हुई दिख रही है. इसके बावजूद बीजेपी कोई भी जोखिम उठाने के मूड में नहीं है. तीन-तीन आंतरिक सर्वे के बावजूद उम्मीदवारों के चयन के लिए पार्टी स्तर पर सीक्रेट वोटिंग कराने से उसकी गंभीरता को समझा जा सकता है.