'केंद्र सरकार का बजट अवसरवादी, झलक रही असमानता', CM सुक्खू बोले- गरीबी-महंगाई की बात ही नहीं
Himachal News: केंद्रीय बजट 2025-26 को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री ने अवसरवादी और निराशाजनक करार दिया है. उनका कहना है कि बजट में गरीबी, महंगाई और सेब उत्पादकों के मुद्दों को नजरअंदाज किया गया है.

Union Budget 2025-26: केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने वित्त वर्ष 2025-26 लिए बजट पेश किया. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने इस बजट को अवसरवादी और निराशाजनक करार दिया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि इस बजट में गरीबी और महंगाई की कोई बात नहीं की गई है.
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादकों के लिए भी इस बजट में कुछ नहीं है. ऐसे में यह बजट निराशाजनक है. वित्त वर्ष 2025-26 के बजट पर निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि यह बजट असमान है और बजट का एक बड़ा हिस्सा बिहार राज्य पर ही लक्षित है.
रेल विस्तार के बारे में कोई बात नहीं- CM सुक्खू
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि बजट में प्रदेश में रेल विस्तार जैसे महत्वपूर्ण मामले के संबंध में भी उल्लेख नहीं है. राज्य के आर्थिक विकास के लिए मजबूत रेल विस्तार जरूरी है. इस मामले को भी नजरअंदाज किया गया है. राज्यों को दिए जाने वाले इंट्रस्ट फ्री लोन की 1.5 लाख करोड़ रुपये की सीमा में बढ़ोतरी नहीं की गई है. हिमाचल जैसे छोटे राज्य के लिए इससे संबंधित कठिन शर्तें राज्य के अनुकूल ही नहीं है. उन्होंने कहा कि जीएसटी क्षतिपूर्ति को समाप्त करने की वजह से हिमाचल प्रदेश मुश्किल वित्तीय स्थिति को झेल रहा है. इस वित्तीय घाटे को कम करने के लिए और प्रदेश की राजकोषीय स्थिरता के लिए एक विशेष वित्तीय पैकेज की तत्काल आवश्यकता है. बजट में इस तरह के पैकेज का कोई प्रावधान नहीं किया गया है.
सेब बागवानों का भी नहीं रखा गया ध्यान- CM सुक्खू
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश के सेब उत्पादक राज्य की अर्थव्यवस्था में अहम योगदान दे रहे हैं. इस वर्ग से संबंधित वित्तीय बाधाओं और उनसे संबंधित मुश्किलों को कम करने के लिए सेब के आयात शुल्क में वृद्धि करने के लिए कोई उपाय नहीं किया गया है. इससे प्रदेश के बागवानों को राहत मिलती. मुख्यमंत्री ने कहा कि आय कर छूट के रूप में मध्यम वर्ग को मिलने वाले लाभ में भी देरी हुई है, क्योंकि नए प्रत्यक्ष ढांचे के लाभों का उपयोग, उपभोग और मांग को बढ़ावा देने के बजाय पिछले सालों में लगाए गए कर के रूप में देना पड़ा है. उन्होंने कहा कि यह गरीब विरोधी और अवसरवादी बजट है.
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