Himachal Pradesh Politics: लोकसभा चुनाव से पहले कैबिनेट में बड़ा बदलाव कर सकती है कांग्रेस, नवरात्र में होगा विस्तार
हिमाचल में बीते करीब 10 महीने से मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार हो रहा है. 15 अक्टूबर को शारदीय नवरात्रि शुरू होने के बाद प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार की संभावना है.
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Cabinet Expansion in Himachal Pradesh: हिमाचल प्रदेश में नई सरकार का गठन हुए 10 महीने का वक्त बीत चुका है. प्रदेश में लंबे वक्त से मंत्रिमंडल विस्तार का इंतजार हो रहा है. हिमाचल प्रदेश मंत्रिपरिषद में फिलहाल तीन पद खाली पड़े हुए हैं. ऐसे में लगातार मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर चर्चा जोरों पर रहती है. संभावित मंत्रियों और उनके समर्थकों को जल्द से जल्द मंत्रिमंडल में शामिल होने का इंतजार है. प्रदेश में मुख्यमंत्री के साथ 12 सदस्य मंत्रिपरिषद में शामिल हो सकते हैं.
नवरात्रि में मिल सकती है खुशखबरी?
हिंदू धर्म में विशेष मान्यता रखने वाले शारदीय नवरात्रि 15 अक्टूबर से शुरू होने जा रहे हैं. इसी शुभ मौके पर कांग्रेस के संभावित मंत्री खुशखबरी का इंतजार भी कर रहे हैं. जानकारी के मुताबिक, कांग्रेस आलाकमान से मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू को मंत्रिमंडल विस्तार के लिए हरी झंडी मिली हुई है. वे कभी भी अपने मंत्रिपरिषद ने सदस्यों की संख्या को बढ़ा सकते हैं. हिमाचल प्रदेश में मुख्य संसदीय सचिवों की नियुक्ति के मामले में 16 अक्टूबर को सुनवाई भी होनी है. इस अहम सुनवाई पर भी सभी की नजरें टिकी हुई हैं.
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सुधीर शर्मा के साथ राजेश धर्माणी को विस्तार का इंतजार
जैसे-जैसे वक्त बीत रहा है, वैसे-वैसे संभावित मंत्रियों की सूची भी बढ़ती ही चली जा रही है. वक्त के साथ इस सूची में कई विधायकों की एंट्री भी हुई है, तो कई विधायकों का नाम कटा भी है. मौजूदा वक्त में मंत्रिमंडल विस्तार में सबसे पहला नाम धर्मशाला के विधायक सुधीर शर्मा का ही है. सुधीर शर्मा एक अकेले ऐसे विधायक हैं जो वीरभद्र सरकार में तो मंत्री रहे, लेकिन सुक्खू सरकार में उन्हें मंत्री बनने का मौका नहीं मिला. जानकारों ने बताया कि केंद्रीय नेतृत्व में शामिल एक बड़े नेता के साथ अनबन की वजह से उन्हें मंत्री नहीं बनाया गया. इसके अलावा दूसरा नाम घुमारवीं से विधायक राजेश धर्माणी का है. राजेश धर्माणी भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह जिला से जीतने वाले कांग्रेस के एक मात्र विधायक हैं. वीरभद्र सरकार में भी वे मुख्य संसदीय सचिव भी रहे और अब उनके मंत्री बनना लगभग तय है. हालांकि पहले मंत्रिमंडल विस्तार में उनका नाम क्यों काटा गया, इस बारे में न तो खुद राजेश धर्माणी जानते हैं और न ही राजनीति के बड़े-बड़े जानकार.
जिला कांगड़ा से मंत्री पद के कई दावेदार
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के नेतृत्व वाली सरकार में भारी क्षेत्रीय असंतुलन है. जिला कांगड़ा में कुल 16 विधानसभा सीट हैं. इनमें से 10 में कांग्रेस को जीत मिली है, लेकिन सबसे बड़े जिला कांगड़ा से केवल एक ही मंत्री बनाया गया है. यहां से कृषि मंत्री चौधरी चंद्र कुमार ही मंत्रिमंडल में अपने जिले का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं. अब इसी जिले से जयसिंहपुर के विधायक यादविंदर गोमा का नाम भी मंत्रिमंडल में शामिल होने पर चर्चाओं में है. जयसिंहपुर अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है. अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे भी मंत्रिमंडल में अनुसूचित जाति के विधायकों को प्रतिनिधित्व देने की बात कर चुके हैं. ऐसे में क्षेत्रीय संतुलन साधने के साथ जातीय संतुलन साधने के लिए गोमा उपयुक्त नाम हैं. इसके अलावा जिला कांगड़ा से ही ज्वालामुखी के विधायक संजय रतन और फतेहपुर से विधायक भवानी सिंह पठानिया भी मंत्रिमंडल की मंत्री पद की दौड़ में शामिल हैं.
क्या राजिंदर राणा को मंत्रिमंडल में जगह देंगे CM सुक्खू?
हिमाचल प्रदेश में मंत्रिपरिषद की दौड़ में एक बड़ा नाम राजिंदर राणा भी हैं. सुजानपुर के विधायक राजिंदर राणा वह शख्सियत हैं, जिन्होंने हिमाचल बीजेपी में नेतृत्व परिवर्तन करने का बड़ा काम किया. साल 2017 की विधानसभा चुनाव में राणा ने भाजपा के मुख्यमंत्री उम्मीदवार प्रो. प्रेम कुमार धूमल को चुनाव में शिकस्त दी और भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन हो गया. अब साल 2022 में राणा ने दोबारा सुजानपुर सीट से जीत हासिल की, लेकिन उन्हें मंत्रिमंडल में जगह नहीं मिल सकी. राजिंदर राणा हिमाचल कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष भी हैं. हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू और उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री दोनों ही हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से आते हैं. ऐसे में यह राणा के मंत्री बनने की राह में सबसे बड़ा रोड़ा है. इसके अलावा होली लॉज से राणा की नजदीकी भी उनके मंत्री पद के आगे आ रही है. हालांकि राणा का तर्क है कि पहले भी मुख्यमंत्री के गृह जिला से ही अन्य मंत्री बनते रहे हैं. ऐसे में राणा को मंत्रिमंडल में जगह मिलेगी या नहीं यह बड़ा सवाल है.
साल 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले विस्तार अहम
देश में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए चंद महीनों का वक्त रह गया है. ऐसे में इन लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार करना जरूरी है. इससे सरकार को न केवल क्षेत्रीय समीकरण साधने हैं, बल्कि अपने विधायकों को भी संतुष्ट रखना है. विधायकों की संतुष्टि समर्थकों की खुशी और जोश के लिए भी बेहद महत्वपूर्ण है. मुख्य विपक्षी दल भारतीय जनता पार्टी भी लगातार सरकार को मंत्रिमंडल विस्तार न कर पाने को लेकर आए दिन घेरने में लगा रहता है. ऐसे में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू के सामने सभी समीकरणों को साधते हुए अपने दूसरे मंत्रिमंडल विस्तार को जल्द से जल्द पूरे करने की चुनौती है.
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