Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती लीगल की जा सकती है. प्रदेश सरकार तेजी से इस दिशा में आगे बढ़ रही है. हिमाचल में भांग के औषधीय और औद्योगिक इस्तेमाल के लिए नीति निर्धारण की दिशा में तेजी से काम हो रहा है. इसी साल 6 अप्रैल को हिमाचल प्रदेश विधानसभा के बजट सत्र के दौरान विपक्ष के सदस्य पूर्ण चंद ने विधानसभा में यह प्रस्ताव लाया था.
इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हुए हिमाचल सरकार ने कैबिनेट सब कमेटी का गठन किया था. इस कमेटी का अध्यक्ष राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी को बनाया गया. कमेटी में पक्ष-विपक्ष के सदस्य शामिल थे.
हर साल 500 करोड़ रुपए के राजस्व का अनुमान
शुक्रवार को कैबिनेट सब कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सदन के पटल पर रखी. राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन को बताया कि कमेटी ने उत्तराखंड, मध्य प्रदेश और जम्मू कश्मीर का दौरा किया. साल 2017 में भांग की खेती को लीगल करने वाला उत्तराखंड पहला राज्य है. सब कमेटी की सहमति बनी है कि भांग की खेती गैर-मादक इस्तेमाल के लिए की जा सकती है. हिमाचल प्रदेश इसके लिए अनुकूल है. यहां लगभग सभी जिलों में प्राकृतिक रूप से भांग उग जाती है. सरकार इसे जल्द शुरू करने की दिशा में आगे बढ़ सकती है. इससे हिमाचल प्रदेश के राजस्व में भी वृद्धि होगी. कमेटी का अनुमान है कि शुरुआती दौर में इसे हर साल 400 करोड़ रुपए से 500 करोड़ रुपए का राजस्व प्राप्त होगा. भविष्य में यह राजस्व बढ़ने की भी संभावना है.
मील का पत्थर साबित होगा कदम
राजस्व मंत्री जगत सिंह नेगी ने सदन को बताया कि भांग के बीज पत्तों से भी अलग-अलग तरह के उत्पाद बनते हैं. भांग के पौधों को आवारा जानवर भी नुकसान नहीं पहुंचाते हैं. इससे भी राजस्व में वृद्धि हो सकती है. इसके अलावा भांग कैंसर, मिर्गी और पुराने दर्द पर भी बेहद प्रभावी है. इसके लिए सरकार को एनडीपीएस एक्ट की धारा 10 और 14 में बदलाव करना होगा. कमेटी ने इस तरफ भी सरकार का ध्यान दिलाया है कि भांग की खेती लीगल करने पर लोगों में जागरूकता भी बढ़ानी होगी. कमेटी ने सरकार को कहा है कि हिमाचल प्रदेश में भांग की खेती लीगल करना मील का पत्थर साबित होगी.