Himachal Pradesh News: हिमाचल प्रदेश में जुलाई-अगस्त के महीने में बारिश की वजह से भारी तबाही हुई. प्रदेश में आई तबाही की बड़ी वजहों में से एक वजह इलीगल माइनिंग भी रही. प्राकृतिक आपदा के बाद गठित मल्टी सेक्टर कमेटी ने अपनी अंतरिम रिपोर्ट पेश की. इसमें आपदा के लिए जलवायु परिवर्तन (Climate Change) के साथ अवैज्ञानिक और अवैध खनन को मेन फैक्टर पाया गया है.


कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ब्यास नदी बेसिन पर 131 स्टोन क्रशर स्थापित हैं. इनमें से 68 के पास इनके संचालन के लिए जरूरी अनुमति नहीं पाई गई. 50 संचालकों के पास ही जरूरी अनुमति पाई गई है. इसके अलावा सात क्रशर बाढ़ से प्रभावित पाए गए, जबकि 6 में भंडारण से संबंधित और अन्य अनियमितताएं पाई गई हैं.


सीएम सुक्खू ने क्या कहा?


हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि ब्यास बेसिन में 131 क्रेशर में से 68 क्रेशर के पास वैलिड रिलीज ही नहीं थी. ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि बिना वैलिड लीज के यह क्रेशर कैसे काम करते रहे? उन्होंने कहा कि पिछली बीजेपी सरकार यह सब देखते हुए भी आंखें मूंदे रहीं. उन्होंने कहा कि इसे वे एक घोटाला ही कहेंगे.


सीएम सुक्खू ने कहा कि इससे प्रदेश सरकार को करीब 100 करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि कमेटी ने अपनी जांच के दौरान पाया कि कई क्रशर में बिजली से नहीं, बल्कि जनरेटर के सहारे काम चल रहा था. ऐसे में राज्य सरकार को मिलने वाली रॉयल्टी ही सरकार के पास नहीं आ पा रही थी.


वैलिड लीज वाले स्टोन क्रेशर जल्द खुलेंगे


मुख्यमंत्री ने कहा कि उन्होंने उद्योग मंत्री से कहा है कि जिन क्रशर के पास वैलिड लीज है, उन्हें खोला जाए. इसके अलावा जिनके पास वैलिड लीज नहीं है, वह अपनी कमियां दूर करें और इसके बाद उन्हें भी काम करने की अनुमति दी जाएगी. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने क्रशर मालिकों से कहा है कि वह अपनी रिलीज रिन्यू करवाएं और नियमों के तहत ही कम करें. मुख्यमंत्री ने कहा कि यदि जनरेटर पर काम करते हुए क्रशर पाया जाता है, तो उस पर भारी जुर्माने का प्रावधान भी किया जाएगा.


भारी दबाव ने ब्यास नदी का पर्यावरणीय संतुलन


बता दें कि मल्टी सेक्टर कमेटी ने रिपोर्ट में कहा है कि नदी में अत्याधिक मलबा फेंकने के कारण बाढ़ ने गंभीर रूप ले लिया. इससे आसपास के सामुदायिक ढांचे और जान माल को भारी नुकसान पहुंचा. समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि ब्यास नदी का पर्यावरणीय संतुलन भारी दबाव में है. इसका वैज्ञानिक अध्ययन करने की आवश्यकता है और स्टोन क्रशरों के संचालन के लिए लघु, मध्यम और दीर्घावधि उपाय सुझाने पर भी बल दिया गया है.


सीसीटीवी कैमरा लगाने की भी सिफारिश 


मल्टी सेक्टर कमेटी ने जरूरी अनुमति प्राप्त 50 स्टोन क्रशर को कुछ शर्तों के साथ संचालित करने की अनुमति प्रदान करने की सिफारिश की है. इसके तहत यह क्रशर सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक 12 घंटे के लिए संचालित किए जा सकते हैं. मल्टी सेक्टर कमेटी ने सिफारिश की है कि किसी भी क्रशर पर डीजी सेट का प्रयोग अवैध बनाया जाना चाहिए. भविष्य में सभी स्टोन क्रशरों में सीसीटीवी कैमरा लगाने की भी सिफारिश की गई है, जिनकी निगरानी राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और खनन विभाग के अधिकारी करें. स्टोन क्रशर के 500 मीटर दायरे में अगर कोई भी गैर-कानूनी खनन पाया गया तो स्थानीय अधिकारी लिखित में रिपोर्ट दें अन्यथा उसी स्टोन क्रशर पर कार्रवाई की जाए.


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