CM Sukhu On Water Cess: हिमाचल प्रदेश सरकार (Himachal Pradesh Government) ने अपनी आय के स्रोत बढ़ाने के लिए वॉटर सेस लगाने का फैसला किया है. इसे लेकर हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Pradesh Assembly) में बिल भी पास किया गया है. इसके खिलाफ हरियाणा (Haryana) और पंजाब सरकार (Punjab Government) की ओर से विरोध जाहिर किया गया है. दोनों सरकारों ने हिमाचल प्रदेश सरकार की ओर से पास किए गए इस बिल का विरोध किया है. इस पर गुरुवार को हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) ने सदन में अपना वक्तव्य रखा. उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार अपने पड़ोसी राज्यों का सम्मान करती है. यह विधेयक किसी भी संधि का कोई उल्लंघन नहीं करता.
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि पड़ोसी राज्यों की सरकार की ओर से 1956 की संधि का उल्लंघन होने की बात कही जा रही है, जो तर्कसंगत नहीं है. उन्होंने कहा कि उपकर लगाने वाला हिमाचल प्रदेश पहला राज्य नहीं है. इससे पहले उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर भी वॉटर सेस लगा रहा है. सीएम सुखविंदर सिंह सुक्खू ने कहा कि हिमाचल प्रदेश सरकार किसी अन्य राज्य सरकार के अधिकारों का कोई उल्लंघन नहीं कर रही है.
3829.15 करोड़ का राजस्व जुटाया जाएगा
हिमाचल प्रदेश में 10 हजार 991 मेगावाट की 172 पन बिजली परियोजनाएं हैं. इनसे हर साल 3829.15 करोड़ का राजस्व जुटाया जाएगा. हिमाचल सरकार ने सदन में बिल पेश करने से पहले यह स्पष्ट किया कि इसका बोझ आम जनता पर बिलकुल भी नहीं पड़ेगा. यह सेस केवल कंपनियों को चुकाना होगा. इस दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में कहा था कि सरकार हिमाचल प्रदेश की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और इस दिशा में तेजी से काम कर रही है. बता दें कि हिमाचल प्रदेश विधानसभा का इन दिनों बजट सत्र चल रहा है.
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