CM Sukhu On Himachal Outsourced Employees: हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति का मामला लंबे समय से चर्चा का विषय बना हुआ है. प्रदेश के 19 हजार 916 कर्मचारी स्थाई नीति बनाए जाने का इंतजार कर रहे हैं. राज्य की पिछली बीजेपी सरकार (BJP Government) के वक्त भी आउटसोर्स कर्मचारियों ने अपनी मांगों को मुखरता से रखा. मौजूदा कांग्रेस सरकार (Congress Government) के वक्त भी यह मांग पुरजोर तरीके से उठाई जा रही है. हिमाचल प्रदेश विधानसभा (Himachal Pradesh Assembly) के बजट सत्र के दौरान बड़सर विधानसभा क्षेत्र (Barsar Assembly Constituency) से विधायक इंद्र दत्त लखनपाल (Inder Dutt Lakhanpal) के सवाल पर जवाब मिला कि सरकार आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए स्थाई नीति बनाने का कोई विचार नहीं रखती.
इसके बाद मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने सदन में जवाब देते हुए कहा कि लंबे समय से आउटसोर्स कर्मचारी स्थाई नीति की मांग कर रहे हैं. कई ऐसे भी कर्मचारी हैं, जो भी बीते 8-10 साल से विभाग में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. सीएम सुक्खू ने कहा कि पिछली बीजेपी सरकार के आखिरी समय में आउटसोर्स पर पॉलिसी बनाने की कोशिश हुई, लेकिन इस मामले में कुछ नहीं हुआ. मुख्यमंत्री ने कहा कि हाल ही में बजट में कर्मचारियों का मानदेय 750 रुपए मानदेय बढ़ाया गया है. उन्होंने कहा कि सरकार इसके बारे में विचार कर रही है. साथ ही उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि किसी भी आउटसोर्स कर्मचारी को सरकार की तरफ से निकाला नहीं जाएगा.
आउटसोर्स कर्मचारियों को बड़ा झटका?
हिमाचल प्रदेश में आउटसोर्स कर्मचारी अलग-अलग विभागों में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. यह सभी कर्मचारी लंबे समय से मांग उठा रहे हैं. स्थाई नीति बनाने के साथ यह कर्मचारी संबंधित विभाग के साथ मर्ज करने की भी मांग कर रहे हैं. सभी सरकारों ने इसे लेकर आश्वासन तो दिया, लेकिन अब तक इस पर कुछ भी पुख्ता तौर पर नहीं हो सका है. इस बीच कांग्रेस सरकार की ओर से स्थाई नीति न बनाए जाने को लेकर मिला जवाब आउटसोर्स कर्मचारियों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है.
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