Himachal News: रविवार सुबह हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल का विस्तार हो गया. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने मंत्रिमंडल में युवा और बुजुर्ग सदस्यों के संतुलन का ध्यान रखा है. इस बीच हिमाचल प्रदेश की राजनीति को समझने वाले जानकार ध्यान दिला रहे हैं कि मंत्रिमंडल विस्तार में क्षेत्रीय और जातीय समीकरण दूर-दूर तक नजर नहीं आ रहा.


मंत्रिमंडल विस्तार से ब्राह्मण चेहरे दूर
कहीं दबी आवाज में तो कहीं खुलकर इस असंतुलन की चर्चा हो रही है. इन दिनों हिमाचल प्रदेश में मंत्रिमंडल विस्तार में जातीय और क्षेत्रीय समीकरण का साथ पाने की चर्चा जोरों पर है. जहां एक ओर 10 सीट पर जीत दिलाने वाले कांगड़ा को पूर्ण प्रतिनिधित्व नहीं दिया गया. वहीं, मंत्रिमंडल के विस्तार से ब्राह्मण चेहरों को भी दूर कर दिया गया. हिमाचल प्रदेश की राजनीति में भले ही जातिवाद का जहर न घुला हो, लेकिन यहां की राजनीति भी जातीय समीकरण साधने के आधार पर चलती आई है.


मंत्रिमंडल में सिर्फ एक ही ब्राह्मण चेहरा
मौजूदा मंत्रिमंडल की बात करें, तो उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री को छोड़कर कोई भी कैबिनेट मंत्री ब्राह्मण चेहरा नहीं है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने मंत्रिमंडल में राजपूत, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों को प्रतिनिधित्व दिया है. हिमाचल प्रदेश मंत्रिमंडल विस्तार के दौरान धर्मशाला से सुधीर शर्मा, घुमारवीं से राजेश धर्माणी और नगरोटा बगवां से रघुबीर सिंह बाली का नाम रेस में शामिल था. इन तीनों ब्राह्मण चेहरों को आखिरी वक्त में मंत्रिमंडल विस्तार से बाहर कर दिया गया. हालांकि तीनों चेहरों को मंत्रिमंडल से दूर करने की वजह भी अलग-अलग रही है.


किन वजहों से दूर हुए ये नेता?
धर्मशाला से सुधीर शर्मा का नाम ड्रॉप करने के पीछे उनका साल 2019 में उपचुनाव न लड़ना बड़ा कारण माना जा रहा है. इसके अलावा कांग्रेस के दो वरिष्ठ महिला नेताओं ने उन्हें मंत्री ना बनाने की मांग को लेकर आलाकमान को पत्र भी लिखा है. इसके अलावा नगरोटा बगवां से पूर्व परिवहन मंत्री के बेटे रघुबीर सिंह बाली का नाम भी मंत्रिमंडल में शामिल होने को लेकर अटकलें लगाई जा रही थीं, लेकिन उनका पहली बार चुनाव जीतना उनके मंत्री पद हासिल करने के आड़े आ गया. रघुबीर सिंह बाली को जूनियर होने का खामियाजा भुगतना पड़ा.


आखिरी वक्त में काटा गया धर्माणी का नाम
बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के गृह जिले से कांग्रेस के लिए एकमात्र सीट जीतने वाले घुमारवीं के विधायक राजेश धर्माणी को भी मंत्रिमंडल में शामिल नहीं किया गया. राजेश धर्माणी भी हिमाचल प्रदेश का बड़ा ब्राह्मण चेहरा हैं. वह वीरभद्र सरकार में चीफ पार्लियामेंट्री सेक्रेटरी के पद पर भी रहे. धर्माणी को मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू का खास भी माना जाता है. बिलासपुर से एक सीट ही जीत पाने की वजह से उनका रास्ता भी साफ था. बावजूद इसके आखिरी वक्त पर धर्माणी का नाम मंत्रिमंडल की सूची से गायब कर दिया गया.


जानकारों के साथ खुद राजेश धर्माणी भी अब तक यह समझ पाने में सफल नहीं हो सके हैं कि आखिर किन वजहों से राजेश धर्माणी को मंत्रिमंडल से बाहर रखा गया. हिमाचल प्रदेश की राजनीति की मजबूत समझ रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार अरविंद कंवर मानते हैं कि राजेश को मंत्रिमंडल से बाहर रखने की कोई बड़ी वजह नजर नहीं आती. ऐसे में उन्हें जल्द ही मंत्रिमंडल में शामिल कर लिया जाएगा.


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