CM Sukhu Exclusive: शिमला निगम चुनाव से लेकर OPS पर BJP के आरोपों तक, सीएम सुक्खू ने दिए इन 29 सवालों के जवाब
हिमाचल प्रदेश के लिए विजन, ग्रीन एनर्जी स्टेट, मंत्रिमंडल विस्तार, उप मुख्यमंत्री से रिश्ते और केंद्र सरकार से रिश्ते को लेकर एबीपी न्यूज़ ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से खास बातचीत की है.
Sukhwinder Singh Sukhu Exclusive Interview: देशभर में कांग्रेस के लिए राजनीतिक परिस्थिति विकट है. इस बीच तीन महीने पहले हिमाचल प्रदेश में बड़ा बदलाव हुआ. कांग्रेस पार्टी ने कुल 68 में से 40 सीट पर जीत हासिल की और ठाकुर सुखविंदर सिंह सुक्खू को हिमाचल प्रदेश का मुख्यमंत्री बनाया गया. सुखविंदर सिंह सुक्खू एक साधारण परिवार से आते हैं. बस चालक के बेटे सुखविंदर सिंह सुक्खू के परिवार का राजनीति से दूर दूर तक कोई लेना-देना नहीं था. छात्र राजनीति से अपने करियर की शुरुआत करने वाले सुखविंदर सिंह ठाकुर आज हिमाचल प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर हैं.
हिमाचल प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हुए तीन महीने से ज्यादा का समय बीत गया है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं. उनके सुर्खियों में बने रहने की एक बड़ी वजह उनका साधारण और सरल व्यक्तित्व भी है. हिमाचल प्रदेश के लिए विजन, ग्रीन एनर्जी स्टेट, मंत्रिमंडल विस्तार, उप मुख्यमंत्री से रिश्ते और केंद्र सरकार से रिश्ते को लेकर एबीपी न्यूज़ ने मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से खास बातचीत की. पढ़िए, बातचीत के कुछ अंश.
1. बस चालक के बेटे ने मुख्यमंत्री की कुर्सी तक का सफर कैसे तय किया?
जवाब:- पिता की रिटायरमेंट के बाद मेरे राजनीतिक सफर की शुरुआत हुई. जो व्यक्ति राजनीति में होता है, उसे कई प्रकार के पथरीले रास्तों को पार करना पड़ता है. छात्र राजनीति करते-करते में एनएसयूआई का राज्य अध्यक्ष बना. इसके बाद मैं युवा कांग्रेस का अध्यक्ष बना. कॉलेज में चुनाव लड़कर जीत हासिल की. यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट रिप्रेजेंटेटिव बना, लेकिन प्रेसिडेंट का चुनाव हार गया. इसके बाद नगर निगम शिमला में पार्षद के तौर पर चुनाव जीता. साल 2003 में पहली बार विधायक का चुनाव जीता. साल 2012 में हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष का दायित्व मिला. 2022 विधानसभा चुनाव से पहले कैंपेन कमेटी का अध्यक्ष बनाया गया और आज इस पद पर हूं. इस तरह मेरा CR से CM तक का सफर रहा.
2. बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा हिमाचल से आते हैं. वहां आपने बीजेपी पर पार पाने में कैसे सफलता हासिल की?
जवाब:- पूरी कांग्रेस पार्टी ने इकट्ठे होकर चुनाव लड़ा. मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया गया. बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा और केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर हिमाचल से आते हैं. पार्टी ने हाथ के निशान पर चुनाव लड़ा. कांग्रेस में हमेशा से मांग होती रही कि पहले मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित किया जाए, लेकिन हिमाचल प्रदेश का सबसे सक्षम उदाहरण है. जहां मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित नहीं किया गया. कांग्रेस की विचारधारा और हाथ का निशान ही मुख्यमंत्री का चेहरा था. यह तय हुआ कि चुनाव जीतने के बाद विधायक ही मुख्यमंत्री चुनेंगे.
3. चुनाव परिणाम के दौरान कुछ विधायकों के आपके साथ अंडरग्राउंड होने की खबरें थी. क्या यह सच्चाई है या सिर्फ अफवाह थी?
जवाब:- कोई अंडरग्राउंड नहीं हुआ था. जीत के बाद ऐसा होता ही है. 24-25 विधायक मेरे पास आए. हमने एक साथ बैठकर लंच किया.
4. जिला हमीरपुर से पूर्व मुख्यमंत्री आते हैं. वहां केंद्रीय मंत्री भी हैं. फिर कांग्रेस वहां कैसे जीती?
जवाब:- देखिए, कांग्रेस पार्टी एकजुटता से चुनाव लड़ी. बीजेपी में गुटबाजी थी. धूमल गुट अलग था, नड्डा गुट अलग था और जयराम गुट अलग था. हमारे यहां इस तरह का कोई गुट नहीं था. हमारे यहां यह मान लिया गया था कि अगर गुटबाजी के साथ चुनाव लड़ा, तो सत्ता हासिल नहीं की जा सकती. सभी ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जीत हासिल की. यह एक टर्निंग प्वाइंट था.
5. चुनाव प्रचार के लिए छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल आए. राजस्थान से सचिन पायलट भी चुनाव प्रचार में उतरे. क्या इसका फायदा भी कांग्रेस पार्टी को मिला?
जवाब:- हमें सभी नेताओं के चुनाव प्रचार करने का फायदा मिला, लेकिन सबसे ज्यादा फायदा प्रियंका गांधी के चुनाव प्रचार से हुआ. जब प्रियंका गांधी से कांग्रेस के सभी नेताओं ने आह्वान किया कि वे हिमाचल आकर प्रचार करें. हमने प्रियंका गांधी से कहा कि देशभर में आपका घर कहीं नहीं है. आपका घर हिमाचल में है. प्रियंका गांधी ने 11-12 जगह रैली की और वहां भारी संख्या में जनसैलाब उमड़ा.
6. हिमाचल पंजाब से लगता राज्य है. पंजाब में नशे की समस्या बहुत ज्यादा है. आपके पास नशाखोरी को खत्म करने के लिए क्या प्लान है?
जवाब:- हमारी सरकार ने नशाखोरी को खत्म करने के लिए सख्त कदम उठाए हैं. हाल ही में हुए हिमाचल प्रदेश के बजट सत्र में संकल्प पारित कर केंद्र सरकार को भेजा गया है. क्योंकि नशाखोरी के खिलाफ कानून के अधिकार केंद्र के पास हैं. ऐसे में कानून को सख्त बनाने के लिए संकल्प पास कर केंद्र को भेजा गया है. इस संकल्प में नशा माफियाओं की संपत्ति जब्त करने का संकल्प है.
7. आप अनाथ बच्चों के लिए योजना लाए हैं. इस योजना के बारे में कुछ बताइए.
जवाब:- हमने अनाथ बच्चों के लिए 101 करोड़ रुपये के सुख आश्रय राहत सहायता कोष की स्थापना की है. अनाथ बच्चों को लोग दया की भावना से देखते हैं. कुछ अनाथ बच्चों को लोग भी पढ़ाते हैं, उस वक्त बच्चे के मन में हमेशा शंका बनी रहती है कि उसकी फीस कब जमा होगी? ऐसे में हमने सोचा कि जिन बच्चों के माता-पिता नहीं है वह बच्चे 'चिल्ड्रन ऑफ द स्टेट' होंगे. इन बच्चों का सारा खर्च सरकार उठाएगी. प्रदेश भर के 6 हजार बच्चों के फीस हॉस्टल का खर्च के साथ उन्हें साल में एक बार घुमाने की भी व्यवस्था की गई है. यह बच्चे घूमने के लिए हवाई जहाज से जाएंगे और 3 स्टार होटल में रुकने की व्यवस्था होगी. 27 साल की उम्र तक बच्चों की पढ़ाई का सारा खर्चा उठाया जाएगा. 27 साल की उम्र पूरी करने के बाद बच्चों को मकान बनाने के लिए सरकार तीन बिस्वा जमीन भी देगी.
8. क्या ऐसी स्कीम अन्य प्रदेशों में भी है?
जवाब:- देशभर में यह ऐसी पहली स्कीम है, जहां अनाथ बच्चों की सरकार ही माता और सरकार ही पिता है.
9. हिमाचल प्रदेश को ग्रीन स्टेट बनाने की दिशा में सरकार क्या कदम उठाने जा रही है?
जवाब:- हम हिमाचल प्रदेश में ऐसे उद्योग स्थापित करना चाहते हैं, जो प्रदेश की जलवायु और वातावरण को दूषित न करे. इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए हमने ग्रीन स्टेट बनाने की बात कही है. हमने इलेक्ट्रिक स्कूटी, बस, कार और ट्रक लेने के लिए 50 फीसदी अनुदान देने की बात कही है. इसके अलावा 1 मेगावाट तक के सोलर प्रोजेक्ट में भी सरकार 40 फीसदी का अनुदान देगी.
10. केंद्र सरकार हिमाचल प्रदेश में कुछ योजनाओं को लेकर विवाद है. पहले जिन योजनाओं को शेयर 90:10 हुआ करता था, उसे घटा दिया गया है. क्या अभी क्या विवाद कायम है?
जवाब:- आप बिल्कुल ठीक कह रहे हैं. कुछ योजनाओं में 60:40 और कुछ योजनाओं में 90:10 का है. यह विवाद चलता रहा है कि हिमाचल प्रदेश को सभी योजनाओं में 90:10 में शामिल किया जाए. हम इस दिशा में काम कर रहे हैं और केंद्र सरकार भी हमारी बात समझ रही है. हमें कुछ योजनाओं में 90:10 का लाभ मिल रहा है. हिमाचल प्रदेश के पास विशेष राज्य का दर्जा नहीं है, लेकिन पहाड़ी राज्य होने की वजह से कुछ लाभ मिल रहे हैं.
11. बीते दिनों आप पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान से मिले. वॉटर सेस को लेकर क्या चर्चा हुई?
जवाब:- हिमाचल में 172 पनबिजली परियोजनाएं हैं. हमने पानी पर नहीं बल्कि परियोजनाओं पर सेस लगाया है. यह हमारा अधिकार है. ऐसा करने वाला हिमाचल पहला राज्य नहीं है. इससे पहले सिक्किम, उत्तराखंड और जम्मू कश्मीर में यह सेस लिया जा रहा है. मैंने पंजाब के मुख्यमंत्री को समझाया कि सेस पंजाब के बहते पानी पर नहीं बल्कि सिर्फ पनबिजली परियोजनाओं पर है. इन परियोजनाओं में हिमाचल का बिजली बोर्ड भी शामिल है.
12. अक्सर अफसरशाही के सरकार पर हावी रहने की बातें सामने आती हैं. आप पहली बार मुख्यमंत्री बने हैं. आपकी अधिकारियों पर कैसी पकड़ है?
जवाब:- अफसरशाही से चर्चा के बाद हम योजनाओं को अमलीजामा पहनाने का काम करते हैं. जब योजनाओं के लिए बजट होता है, तो अफसरशाही की अड़चन नहीं आती. अफसरशाही सरकार का ही हिस्सा है. योजनाएं बजट के साथ लागू की जाए, तो कोई समस्या नहीं आती.
13. आपका केंद्र सरकार से तालमेल कैसा चल रहा है.
जवाब:- हमारा तालमेल बहुत अच्छा है. केंद्र से जो योजनाएं आ रही हैं, हम उन का फायदा उठा रहे हैं. हां, यह सही है कि प्रदेश में कांग्रेस की सरकार है. ऐसे में थोड़ा-बहुत ऊपर-नीचे रहता है.
14. क्या आपको ऐसा लगता है कि केंद्र से असहयोग मिल रहा हो?
जवाब:- नहीं, ऐसा नहीं है. अभी तो मुझे 100 ही दिन हुए हैं. भविष्य में केंद्र के पास योजनाएं भेजूंगा, तब ही इस बारे में कुछ कह सकूंगा.
15. राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने के मामले में आप क्या कहेंगे?
जवाब:- लोकतंत्र तभी मजबूत होता है, जब विपक्ष मजबूत हो. आज की तारीख में कांग्रेसी सबसे बड़ा विपक्षी दल है और सबसे बड़े विपक्षी दल के सबसे बड़े नेता को की सदस्यता रद्द कर दी गई. इससे लोकतंत्र जिंदा नहीं रह सकता. क्षेत्रीय दलों का दायरा सीमित होता है. कांग्रेस पार्टी हर प्रदेश में है. ऐसे षड्यंत्र से एक आवाज को तो दबाया जा सकता है, लेकिन कांग्रेस की विचारधारा को नहीं.
16. आप को राजनीति में आगे बढ़ाने वाला व्यक्ति कौन रहा?
जवाब:- यह लगनशीलता की बात है. किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए छमता चाहिए होता है. मेरा ध्यान पहले से ही राजनीति में था. पड़ोस के लोगों के काम करवाना. 17 साल की उम्र में क्लास रिप्रेजेंटेटिव का चुनाव जीत जाना और फिर 25 साल की उम्र में पार्षद बनना. किसी भी क्षेत्र में आगे बढ़ने के लिए लगन जरूरी है.
17. नगर निगम शिमला के चुनाव आ रहे हैं. इसके लिए क्या तैयारी है?
जवाब:- हम नगर निगम शिमला का चुनाव जीतेंगे. हमने 100 दिनों के छोटे से कार्यकाल में ही जनता के लिए काम किया है. सरकार की सफलता का तो चार साल बाद पता लगेगा, लेकिन 100 दिनों का सफल कार्यकाल नगर निगम शिमला चुनाव में ही पता चल जाएगा. हम जनता की बेहतरी के लिए काम कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश के जैसे आर्थिक हालात हैं, उसके मुताबिक हम अच्छा काम कर रहे हैं.
18. आपने खराब आर्थिक हालात की बात की. आप आर्थिक हालात सुधारने के लिए क्या कदम उठा रहे हैं?
जवाब:- हमने पहले दिन से ही संसाधन जुटाने की दिशा में काम शुरू कर दिया है. हमें पता था कि हालात ऐसे ही रहे, तो स्थिति बदतर हो जाएगी. हिमाचल प्रदेश के हर व्यक्ति पर औसतन 92 हजार 800 रुपये का कर्ज है. प्रदेश पर 75 हजार करोड़ रुपये का कर्ज और 11 हजार करोड़ रुपये की देनदारी है. हमने संसाधन जुटाने के लिए शराब के ठेकों की नए सिरे से नीलामी की है. इससे हिमाचल प्रदेश की आय में 40 फीसदी तक की वृद्धि होगी. पूर्व बीजेपी सरकार सिर्फ 10 फीसदी की वृद्धि के साथ टेंडर कर रही थी. हमने वॉटर सेस के जरिए हिमाचल प्रदेश की आय बढ़ाने की दिशा में कदम उठाया है. आने वाले 4 साल में हिमाचल प्रदेश की स्थिति ठीक होगी. 10 सालों में हिमाचल प्रदेश देशभर का सबसे समृद्ध प्रदेश बनेगा.
19. संसाधन जुटाने की बात तो बहुत पहले से की जा रही है. वीरभद्र सरकार के वक्त से यह बात चलती आ रही है.
जवाब:- नहीं, ऐसा नहीं है. 40 साल बाद प्रदेश में नई व्यवस्था आई है. आप देखेंगे, तो पता चलेगा कि 40 साल बाद यह अपनी तरह का अलग बजट है. ऐसे बजट पेश नहीं किए जाते. हमने योजना आधारित बजट पेश किया है. हम हाइड्रो के क्षेत्र में आगे बढ़ रहे हैं. सोलर के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहे हैं. हम युवाओं को रोजगार देने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं. ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए यह बजट पेश किया गया है.
20. यदि आर्थिक हालात खराब हैं तो क्या ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली में अड़चन नहीं आ रही?
जवाब:- हम अपने संसाधनों से ओल्ड पेंशन स्कीम की बहाली कर रहे हैं. केंद्र सरकार ने हमारा 9 हजार करोड़ रुपये देने से इनकार किया है. फिर भी हम ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर रहे हैं. अधिकारियों और कर्मचारियों को ओल्ड पेंशन स्कीम देने की वजह मानवीय है.
21. नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर कह रहे हैं कि सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर सकेगी. सरकार के पास ओल्ड पेंशन स्कीम देने के लिए बजट नहीं है.
जवाब:- विपक्ष के पास कहने के लिए कुछ नहीं है. हमने अपना वादा पूरा कर दिया है. अप्रैल महीने से जीपीएफ काटना शुरू हो जाएगा. हमने ओल्ड पेंशन स्कीम लागू कर दी है.
22. आपने सुखाश्रय योजना अपने नाम पर लागू कर दी. इसकी जगह राजीव गांधी के नाम पर क्यों नहीं की?
जवाब:- यह खुशहाली की योजना है. इसमें नाम जोड़ने जैसी कोई बात नहीं. पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के नाम पर 'राजीव गांधी डे बोर्डिंग' योजना चलाई गई है. जल्द ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के नाम पर भी योजना आ रही है. इसे मेरे नाम से जोड़ने की बात नहीं है.
23. मंत्रिपरिषद में तीन सदस्यों की जगह खाली है. यह कब तक भरी जाएंगी?
जवाब:- निश्चित तौर पर खाली पड़े मंत्री पदों को भरा जाएगा. जब समय आएगा, तो मंत्री बनाए जाएंगे.
24. सबसे बड़े जिला कांगड़ा से सिर्फ एक ही मंत्री क्यों बनाया गया?
जवाब:- मैं खुद कांगड़ा से हूं. ऐसी कोई बात नहीं है. कांगड़ा को प्रतिनिधित्व मिला है.
25. वीरभद्र सरकार में मंत्री रहे सुधीर शर्मा को आपकी कैबिनेट में मौका नहीं मिला. इसका क्या कारण रहा?
जवाब:- इसका कोई कारण नहीं है. सब ठीक चल रहा है.
26. उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री के साथ आपकी दोस्ती कैसी चल रही है?
जवाब:- क्या आपके पास इस बारे में कोई खबर है? प्रदेश में चर्चाए यूं ही चलती रहती हैं. यदि इस बारे में कुछ पता हो, तो मुझे भी बताना.
27. आप प्रदेश में और कौन-सी नई योजनाएं लाने जा रहे हैं?
जवाब:- हम जनता के हित के लिए काम कर रहे हैं. बजट में भी सरकार ने आम जनता के हित के लिए कई योजनाएं लाई हैं. प्रदेश सरकार ने मार्च 2026 तक हिमाचल को ग्रीन एनर्जी स्टेट बनाने का लक्ष्य रखा है.
28. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में जीत के लिए क्या मास्टर प्लान है?
जवाब:- लोकसभा चुनाव के लिए अभी साल भर का समय है. कांग्रेस पार्टी हिमाचल प्रदेश में अच्छा काम कर रही है. हम लोकसभा चुनाव में भी अच्छा प्रदर्शन करेंगे.
29. आप ने सत्ता में आते ही कुछ संस्थानों को क्यों डि-नोटिफाई कर दिया?
जवाब:- हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले पूर्व बीजेपी सरकार ने राजनीतिक फायदा लेने के लिए संस्थान खोल दिए. इससे हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था पर 5 हजार करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ रहा था. जहां जरूरत होगी, वहां संस्थान दोबारा खोले जाएंगे.
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