Shimla: हिमाचल प्रदेश हरित ऊर्जा राज्य की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (Sukhvinder Singh Sukhu) प्रदेश हो मार्च 2026 तक ग्रीन स्टेट बनाने का दावा कर रहे हैं. हिमाचल प्रदेश में यह शुरुआत पिछली सरकार से ही हो चुकी है. सीएम सुक्खू ने इसे सत्ता में आने के बाद और तेजी देने का काम किया है. हिमाचल प्रदेश के हरित ऊर्जा राज्य बनने के बाद प्रदेश की आर्थिकी को मजबूती मिलेगी, लेकिन शुरुआत में इसके लिए सरकार को बड़ी मात्रा में निवेश भी करना पड़ रहा है.
अबतक खरीदे गए इतने वाहन
हिमाचल प्रदेश में अब तक 95 करोड़ 63 लाख 28 हजार 508 रुपये खर्च कर 96 इलेक्ट्रिक व्हीकल लिए जा चुके हैं. इनमें ट्रांसपोर्ट विभाग के 20, एचआरटीसी के 75 और पॉल्यूशन बोर्ड की एक इलेक्ट्रिक गाड़ी शामिल है. परिवहन विभाग और पोलूशन बोर्ड के लिए कांग्रेस सरकार आने के बाद इलेक्ट्रिक गाड़ी भी ली गई जबकि एचआरटीसी के लिए बसें और वैन पूर्व बीजेपी सरकार के वक्त ही खरीद ली गई थी.
यह है विभागवार ब्योरा
हिमाचल प्रदेश सरकार ने परिवहन विभाग की 20 इलेक्ट्रिक गाड़ियों के लिए 3 करोड़ 79 लाख 58 हजार 99 रुपये खर्च किए. एचआरटीसी की 25 बसों के लिए 47 करोड़ 74 लाख 99 हजार 975 रुपये, 50 बसों के लिए 38 करोड़ 48 लाख 56 हजार और 50 इलैक्ट्रिक वैन के लिए 5 करोड़ 45 लाख 78 हजार रुपये खर्च किए गए. जबकि पॉल्यूशन बोर्ड के लिए खरीदी गई एक इलेक्ट्रिक गाड़ी के लिए 14 लाख 36 हजार 334 रुपये खर्च हुए.
अन्य विभागों को दी जा रही गाड़ियां
हिमाचल प्रदेश में इलेक्ट्रिक गाड़ियों से रिप्लेस की गई डीजल-पेट्रोल की गाड़ियों को अन्य विभागों को हस्तांतरित किया जा रहा है. परिवहन विभाग ने अब तक हिमाचल के रेजिडेंट कमिश्नर, दिल्ली कार्यालय और हिमाचल प्रदेश लोक निर्माण विभाग के इंजीनियर-इन-चीफ को चार-चार गाड़ियां हस्तांतरित कर दी हैं. अन्य गाड़ियों को दूसरे विभागों को हस्तांतरित करने का काम चल रहा है. फिलहाल परिवहन विभाग अपने पास भी कुछ डीजल-पेट्रोल गाड़ियों को रखेगा. इसका इस्तेमाल लॉन्ग रूट पर किया जाएगा. प्रदेश में ग्रीन कॉरिडोर बनने के बाद विभाग पूरी तरह इलेक्ट्रिक व्हीकल को ही इस्तेमाल में लाएगा.
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