Himachal Pradesh News: बात साल 1977 की है. हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू (CM Sukhwinder Singh Sukhu) तब आठवीं क्लास में पढ़ते थे. इसी दौरान उन्होंने हड़ताल करवा कर स्कूल बंद करवा दिया था. दरअसल, इसी साल तत्कालीन मुख्यमंत्री शांता कुमार की सरकार के खिलाफ प्रदर्शन चल रहे थे. प्रदर्शन में विरोध स्वरूप ऑफिस, यूनिवर्सिटी और कॉलेज को बंद करवाया गया था. इसी बीच सुखविंदर सिंह ने भी अपने दोस्तों के साथ मिलकर स्कूल में हड़ताल करवा दी. इसके लिए बाद में उन्हें सजा भी मिली. उन्हें सुबह के वक्त होने वाली प्रार्थना के दौरान सभी बच्चों के सामने सजा दी गई. यह किस्सा मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने छोटा शिमला स्कूल के पारितोषिक वितरण समारोह के दौरान साझा किया. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू की स्कूली पढ़ाई भी इसी स्कूल से हुई है.


आठवीं क्लास में बैठने को मिला बेंच
पारितोषिक वितरण समारोह के दौरान मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपने संबोधन के दौरान कई दिलचस्प किस्से साझा किए. मुख्यमंत्री ने बताया कि वह पढ़ाई-लिखाई में ज्यादा तेज नहीं थे. रोजाना उन्हें स्कूल में मार पड़ती थी. स्कूल से भागकर फिल्म देखने भी जाया करते थे. मुख्यमंत्री ने बताया कि उनका जीवन संघर्षों से भरा रहा. पहले पढ़ाई चट्टाई पर बैठकर हुआ करती थी. संघर्ष के बाद ही उन्हें आठवीं कक्षा में आते-आते बेंच पर बैठने का मौका मिला था.


स्कूल टीचर से जमकर पड़ते थे डंडे
7 जून 1969 को सुखविंदर सिंह सुक्खू ने पहली क्लास में एडमिशन ली थी. स्कूल के वक्त के किस्से साझा करते हुए मुख्यमंत्री ने बताया कि उस वक्त यहां स्कूल के आसपास अधिकतर जंगल ही हुआ करता था. स्कूल के पास ही एक सेब का बगीचा भी था, जहां वह अपने दोस्तों के साथ लंच टाइम में सेब चोरी करने के लिए जाया करते थे. स्कूल में उस दौरान बच्चों को मूंगफली और चने मिलते थे. जैसे ही टीचर क्लास से बाहर जाती तो वे अपने दोस्तों के साथ मिलकर मूंगफली और चने से अपनी जेब भर लिया करते. मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बताया कि स्कूल में उन्हें अपनी गणित की टीचर सावित्री देवी और हिंदी की टीचर गीता देवी से जमकर डंडे पड़ते थे.


उस्ताद जी! बस थोड़ा जल्दी चलाइए
एक बार की बात है. सुखविंदर सिंह सुक्खू स्कूल से भागे और एचआरटीसी बस में बैठकर बस स्टैंड की तरफ जाने लगे. बस में चढ़कर उन्होंने कहा- उस्ताद जी! बस थोड़ा जल्दी चलाइए, हम लेट हो रहे हैं. सुखविंदर सिंह ने उस वक्त यह नहीं देखा कि बस चला रहे ड्राइवर उनके ही पिता हैं, लेकिन पिता ने सुखविंदर सिंह को शीशे में देख लिया. शाम के वक्त जब पिता रोशिल सिंह काम से लौटे तो उनकी जमकर पिटाई हुई.


किसी से कम नहीं सरकारी स्कूल के बच्चे-सीएम 
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने दिलचस्प किस्से साझा करते हुए कहा कि स्कूल का वक्त शरारत का होता है और कॉलेज का वक्त मस्ती का, लेकिन इस बीच यह बेहद जरूरी है कि बच्चे अपनी पढ़ाई पर भी ध्यान दें. मुख्यमंत्री ने कहा कि यह सब किस्से साझा करने की एक बहुत बड़ी वजह है कि वे चाहते हैं कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले बच्चों का मनोबल न टूटे.


सरकारी स्कूल के बच्चों को ऐसा लगता है कि प्राइवेट स्कूल में पढ़ने वाले बच्चे उनसे आगे होते हैं, लेकिन ऐसा नहीं होता. मुख्यमंत्री ने कहा कि जब उनके जैसे आम परिवार से निकला एक बच्चा प्रदेश की सत्ता के शीर्ष पर पहुंच सकता है तो हर बच्चा अपने जीवन में वह हासिल कर सकता है जो वह चाहता है. मुख्यमंत्री के बचपन के किस्से सुनकर कार्यक्रम हॉल में जमकर ठहाके लगे और लोगों ने इसके खूब मजे लिए.


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