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हिमाचल लोकसभा चुनाव में क्यों हुई कांग्रेस की हार? 2 दिनों की बैठक में हुआ ये खुलासा

Himachal Pradesh Politics: कांग्रेस आलाकमान की तरफ से शिमला पहुंची फैक्ट फाइंडिंग कमेटी ने दो दिनों की बैठक में हिमाचल लोकसभा चुनाव में हुई पार्टी की हार के मुख्य कारणों का खुलासा किया.

Himachal Lok Sabha Election 2024: हिमाचल प्रदेश के नौ विधानसभा क्षेत्र में हुए उपचुनाव में छह सीटों पर जीत हासिल कर कांग्रेस ने अपनी सरकार तो बचा ली, लेकिन लोकसभा चुनाव में सभी चार सीटों पर कांग्रेस की पूरी हार हुई. हार की वजहों का पता लगाने कांग्रेस आलाकमान ने दो बड़े नेताओं को शिमला भेजा. इस फैक्ट फाइंडिंग कमेटी में पी.एल. पुनिया और रजनी पाटिल शामिल हैं.

सोमवार को बैठकों का दौर शुरू हुआ. मंगलवार को भी मैराथन बैठकों का दौर जारी रहा. बैठक में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उप मुख्यमंत्री मुकेश अग्निहोत्री, हिमाचल कांग्रेस अध्यक्ष प्रतिभा सिंह और लोकसभा चुनाव में मैदान में उतरे कांग्रेस प्रत्याशी शामिल रहें. इसके अलावा कांग्रेस विधायकों और पदाधिकारियों को भी बैठक में बुलाया गया था.

चुनाव में हार के मंथन की बनेगी रिपोर्ट 

फैक्ट फाइंडिंग कमेटी की सदस्य रजनी पाटिल ने कहा कि सभी नेताओं और पदाधिकारी के साथ लोकसभा चुनाव में मिली हार को लेकर मंथन हुआ है. इस मंथन की एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी. इस रिपोर्ट को कांग्रेस आलाकमान को सौंपा जाएगा. इससे पहले दिल्ली में भी हार की रिपोर्ट आलाकमान को सौंप चुकी हैं. रजनी पाटिल को हिमाचल प्रदेश के बाद रिपोर्ट हार के कारणों का पता लगाने उत्तराखंड जाना है.

प्रत्याशियों की घोषणा में देरी बड़ी वजह

रजनी पाटिल ने कहा कि सभी नेताओं के साथ बातचीत के बाद ये लगता है कि प्रत्याशियों की घोषणा में देरी की वजह से चुनाव में हार हुई. कई ऐसे बिंदु भी निकालकर सामने आए हैं जिसे सार्वजनिक तो नहीं किया जा सकता, लेकिन वो भी हार का बड़ा कारण रहे. इसके अलावा रजनी पाटिल से सरकार और संगठन में समन्वय की कमी को लेकर भी सवाल किया गया. रजनी पाटिल ने कहा कि सरकार और संगठन में समन्वय था. ये हार का कारण नहीं बना. इससे पहले भी समन्वय में कमी की बातें सामने आती रही हैं, लेकिन फिर भी कांग्रेस पार्टी हर बार जीत हासिल कर आगे आती है.

क्या हैं कांग्रेस की हार के मुख्य कारण?

• सरकार और संगठन में समन्वय की कमी 

• लोकसभा चुनाव में प्रत्याशियों की घोषणा में देरी 

• कई सीटों पर विधायकों और उनके समर्थकों में आत्मविश्वास की कमी 

• विधानसभा स्तर पर नेताओं और समर्थकों में गुटबाजी

• राज्य सरकार से कार्यकर्ताओं की नाराजगी

• कांग्रेस कार्यकर्ताओं के आगे अफसरशाही की कथित मनमानी

• कांग्रेस नेताओं के पास बीजेपी के राष्ट्रीय स्तर के मुद्दों का तोड़ न होना

कांग्रेस को दो सीटों पर थी जीत की उम्मीद

हिमाचल कांग्रेस को शिमला संसदीय क्षेत्र और मंडी संसदीय क्षेत्र में जीत की बड़ी उम्मीद थी. मंडी से विक्रमादित्य सिंह और शिमला से विनोद सुल्तानपुरी को जीत की उम्मीद नजर आ रही थी. विक्रमादित्य सिंह के साथ अपने पिता वीरभद्र सिंह का बड़ा नाम और सुक्खू कैबिनेट में मंत्री का बड़ा प्रभाव था. बावजूद इसके विक्रमादित्य सिंह बीजेपी की कंगना रनौत से चुनाव हार गए.

इसके अलावा शिमला संसदीय क्षेत्र में विनोद सुल्तानपुरी की विरासत को आगे नहीं बढ़ा सके. विनोद सुल्तानपुरी की स्थिति ऐसी हुई कि कसौली अपने गृह विधानसभा क्षेत्र कसौली में भी उन्हें लीड नहीं मिली. साल 2024 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस साल 2019 के चुनाव के मुकाबले अपनी लीड घटाने में तो कामयाब रही, लेकिन चारों सीटों पर कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा.

फिलहाल कांग्रेस यही कहकर शुक्र मना रही है कि उनका बीते चुनाव के मुकाबले 14 फ़ीसदी वोट बढ़ा है और कांग्रेस ने बड़े षड्यंत्र के बावजूद अपनी सत्ता बचा ली.

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